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जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे के निधन पर पीएम मोदी ने किया जापानी भाषा में ट्वीट, कहा- हमेशा याद रहोगे


नई दिल्‍ली । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे को याद करते हुए एक ट्वीट किया है। इसमें उन्‍होंने उस वक्‍त को याद किया है जब वो पहली बार आबे से मिले थे। उस वक्‍त वो गुजरात के मुख्‍यमंत्री के तौर पर आबे से मिले थे। आबे को याद करते हुए पीएम मोदी ने उनके साथ बिताए कई पलों का जिक्र किया है। 

अपने ट्वीट में उन्‍होंने लिखा है कि पहली बार उनकी और आबे की मुलाकात वर्ष 2007 में हुई थी। तब से कई यादगार आदान-प्रदान दोनों में हुए हैं। पीएम मोदी ने इन यादों में से एक को संजोते हुए लिखा है कि आबे ने भारत-जापान संबंधों को जीवंतता प्रदान की है। पूर्व प्रधान मंत्री आबे ने सुनिश्चित किया कि नए विकसित होते भारत का जापान हमेशा हाथ थामे रहे।

इससे पहले उन्‍होंने आबे के इस तरह से हुए आकस्मिक निधन पर दुख व्‍यक्‍त करते हुए लिखा है कि उनके निधन से देश और दुनिया ने एक प्रतिभाशाली नेता खो दिया है। आबे को उन्‍होंने अपना प्‍यारा दोस्‍त बताते हुए लिखा कि उन्‍होंने अपना एक प्‍यादा दोस्‍त खो दिया है। मेरे दोस्‍त आबे को मेरी श्रद्धांजलि। पीएम मोदी ने इस संदेश के साथ आबे और अपनी एक तस्‍वीर भी पोस्‍ट की है।

उन्‍होंने लिखा है कि उत्कृष्ट जापानी नेता, बेजोड़ वैश्विक राजनेता और भारत-जापान मित्रता के महान चैंपियन शिंजो आबे अब हमारे बीच नहीं हैं। जापान और दुनिया ने एक महान दूरदर्शी को खो दिया है और मैंने एक प्रिय मित्र खो दिया है।

मैं पहली बार श्री आबे से 2007 में मिला था। जब मैं गुजरात के मुख्‍यमंत्री के रूप में जापान गया था। पहली मुलाकात से ही हमारी दोस्ती सार्वजनिक पद और सार्वजनिक कूटनीतिक रस्मों की बेड़ियों से आगे निकल गई है।

तोजी मंदिर में पूजा, शिंकानसेन यात्रा, अहमदाबाद में साबर माटी आश्रम की यात्रा, वाराणसी में गंगा आरती, टोक्यो में चाय समारोह का अनुभव और यादों की सूची वास्तव में लंबी है।

पीएम मोदी ने उस पल को भी याद किया है जब वो माउंट फूजी की तलहटी में पहाड़ियों से घिरे यामानाशी में आबे के घर में एकमात्र नेता आगंतुक के रूप में गए थे। उन्‍होंने लिखा है कि 2007 से 2012 तक, जब मैं प्रधानमंत्री नहीं था तब से लेकर आज तक हमारे व्यक्तिगत संबंध हमेशा की तरह मजबूत रहे।

प्रधान मंत्री आबे हमेशा नए विचारों से भरे रहते थे। शासन, अर्थशास्त्र, संस्कृति, विदेश नीति और कई अन्य मुद्दों पर उनके विचार बहुमूल्य थे। आबे की सलाह ने गुजरात में मेरे आर्थिक विकल्पों को प्रेरित किया और उन्‍होंने  गुजरात में एक जीवंत साझेदारी बनाने में बहुत मदद की है।

आमतौर पर द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में हम सभी विषयों में व्यापक संबंध के निर्माण का समर्थन करते हैं, लेकिन इतना ही नहीं, भारत-जापान संबंध द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सुरक्षा का केंद्र बन गए हैं। आबे के लिए, भारत-जापान संबंध हमारे दोनों देशों और दुनिया के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे। आबे असैन्य परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाने में अहम थे, जो जापान के लिए सबसे कठिन विषय था। उन्होंने भारत में एक हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए सबसे उदार शर्तों की पेशकश की। भारत की आजादी के बाद कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए उन्‍होंने यह सुनिश्चित किया है कि नए भारत के विकास को गति देने के साथ ही जापान हाथ कस कर भारत का हाथ पकडे रहा।

आबे के पास दुनिया में हो रहे जटिल और कई परिवर्तनों में गहरी समझ थी। उनकी दूरदर्शिता इस बात को लेकर भी थी कि अन्य विकल्पों के साथ राजनीति, समाज, अर्थशास्त्र और अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों को कैसे प्रभावित करेंगे। उनमें बड़े निर्णय लेने का साहस था। उन्‍हें दुनिया का समर्थन प्राप्त था। आबे की व्यापक एवनॉमिक्स नीति ने जापानी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया है और जापानी लोगों के सुधार और उद्यमशीलता की भावना को फिर से जगाया।

आबे ने क्वाड, आसियान के नेतृत्व वाले मंच,  इंडो-पैसिफिक पहल, अफ्रीका सहित इंडो-पैसिफिक से भारत-जापान विकास सहयोग और आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन में योगदान दिया। पीएम मोदी ने हाल ही में अपनी जापान यात्रा के बारे में बताते हुए लिखा है कि, जब मैं इस साल मई में जापान गया था, तो मुझे पूर्व प्रधान मंत्री आबे से मिलने का अवसर मिला, जो हाल ही में जापान-भारत संघ के अध्यक्ष बने थे। हमेशा की तरह, श्री आबे ऊर्जावान, चमकदार और मजाकिया थे। उनके पास भारत-जापान सहयोग को और मजबूत करने का एक सुधारवादी विचार था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि विदाई के समय यह मेरी आखिरी यात्रा होगी।

मैं पूर्व प्रधान मंत्री आबे को उनकी गर्मजोशी, ज्ञान, लालित्य, उदारता, मित्रता और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं तुम्हें हमेशा याद रखूंगा। जिस तरह मिस्टर आबे ने अपना दिल खोला और भारतीय लोगों को गले लगाया, उसी तरह भारतीय लोग मिस्टर आबे की निधन पर उनके एक साथी के रूप में शोक मना रहे हैं। लोगों को प्रेरणा देते हुए उनका निधन हो गया, जो आबे को सबसे ज्यादा पसंद था। उनका जीवन भले ही विनाशकारी रूप से छोटा हो गया हो, लेकिन आबे की विरासत हमेशा के लिए जारी रहेगी।