रांची, । प्रजा सुखे सुखं राज्ञ:, प्रजानां तु हिते हितम्। नात्मप्रियं हितं राज्ञ: प्रजानां तु प्रियं हितम्। अर्थात प्रजा के सुख में ही राजा का सुख निहित है। तीसरी बार राज्य का बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव द्वारा उद्धृत की गई कौटिल्य के अर्थशास्त्र की इस उक्ति के आलोक में अगर बजट पर नजर डालें तो एक बात तय है कि यह बजट किसी को अप्रिय नहीं लगेगा। लगातार तीसरे वर्ष सरकार ने आम जन पर कोई भी नया कर नहीं लगाया है। सरकार ने अपने तीसरे बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा और युवाओं का खूब ख्याल रखा है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी स्वास्थ्य के बजट में हुई है जो सभी की अच्छी सेहत की चिंता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
वित्त मंत्री ने आधारभूत संरचनाओं तथा व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने की कोशिश की है। बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर ध्यान देने के साथ-साथ व्यक्तिगत लाभ की योजनाएं यूनिवर्सल पेंशन, धोती-साड़ी योजना, एक रुपये किलो दाल, 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं को तरजीह दी है। सबसे ज्यादा बड़ा ध्यान स्वास्थ्य क्षेत्र पर रहा है। यह जरूरी भी था। कोरोना ने पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई खोल दी है। स्वास्थ्य ही जीवन का सार है.. के मूल मंत्र को अपनाते हुए वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में दोनों हाथ खोलकर धन का आवंटन किया है। स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा 27 प्रतिशत के बाद खाद्यान्न वितरण में 21 प्रतिशत, पेयजल में 20 प्रतिशत और शिक्षा में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बजट में सभी जिलों के जिला अस्पतालों को 300 बेड के अस्पताल में अपग्रेड करने की घोषणा की गई है।
झारखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा पहुंचाने के लिए मोबाइल क्लीनिक व बाइक एंबुलेंस सेवाएं शुरू करने की घोषणा की गई है। स्वच्छ पेयजल की समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2024 तक सभी घरों को नल से जल पहुंचाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। वैसे इस योजना में अभी राज्य की प्रगति अच्छी नहीं है, पर उम्मीद है अब आगे इसमें तेजी आएगी।
छत्तीसगढ़ की गोधन योजना से प्रभावित होकर पशुपालकों से गोबर खरीदने की सरकार की योजना किसानों के लिए आय बढ़ाने वाली साबित हो सकती है। 100 एग्री स्मार्ट ग्राम भी किसानों के लिए तरक्की के नए द्वार खोल सकता है। बशर्ते ये योजनाएं धरातल पर ठीक से उतरें। पूर्व के अनुभव बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। सरकार की तमाम योजनाएं नौकरशाही की अकर्मण्यता की भेंट चढ़ जाती हैं। किसानों की ऋण माफी पर वित्त मंत्री चुप रहे। बजट में कृषि के आवंटन में कटौती भी की गई है। कांग्रेस हर राज्य में किसान ऋण माफी के आधार पर ही चुनाव में मैदान में उतर रही है। इस मुद्दे पर राज्य के कांग्रेसी मुख्यमंत्री से नाराज हैं।