सम्पादकीय

टीकाकरणकी नयी रणनीति


प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने सोमवारको राष्टï्रके नाम सम्बोधनमें देशमें कोरोनाके खिलाफ जंगमें टीकाकरण अभियानको तेज धार देते हुए अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं की। इससे कोरोनाको परास्त करनेमें काफी सहायता मिलेगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमें कोरोनाके प्रोटोकालका कड़ाईसे अनुपालन भी करना होगा। आगामी २१ जूनको योग दिवससे देशके १८ वर्षसे अधिक उम्रवाले हर व्यक्तिको भारत सरकार नि:शुल्क टीका उपलब्ध करायगी। अब राज्योंको टीका प्रबन्धकी जिम्मेदारीसे भी मुक्त कर दिया गया है। अबतक २५ प्रतिशत टीकेका प्रबन्ध करनेकी जिम्मेदारी राज्योंकी थी। राज्योंको उस जिम्मेदारीसे मुक्त करनेके साथ ही अब निजी अस्पतालोंमें भी टीके लगवाये जा सकेंगे। निजी अस्पताल २५ प्रतिशत टीके सीधे टीका निर्माता कम्पनियोंसे खरीद सकेंगे। ऐसे अस्पताल टीकेके मूल्यके अतिरिक्त सेवा शुल्कके रूपमें अधिकतम डेढ़ सौ रुपये ही ले सकेंगे। विगत २० अप्रैलके बाद कोरोना महामारीके सन्दर्भमें प्रधान मंत्रीका राष्टï्रके नाम यह सम्बोधन इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि दूसरी लहर अब कमजोर पडऩे लगी है लेकिन कोरोनाका खतरा बना हुआ है। तीसरी लहरकी आशंकाएं बनी हुई हैं और इस चुनौतीसे निबटनेमें टीकाकरण आवश्यक है। देशके सभी नागरिकोंको टीका लगानेकी रणनीतिपर तेजीसे कार्य किया जा रहा है। टीकेके उत्पादनमें वृद्धिके साथ उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करनेकी दिशामें भारत सरकार हर मोरचेपर सक्रिय है। उन्होंने कहा कि मिशन इन्द्रधनुषके अन्तर्गत लोगोंको टीका देनेका कार्य किया जा रहा है। २३ करोड़से अधिक लोगोंको टीके लगाये जा चुके हैं। साथ ही आवश्यक दवाओंका उत्पादन भी बढ़ाया गया है। टीकेका ७५ प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार खरीदकर राज्य सरकारोंको मुफ्त उपलब्ध करायेगी। इस महत्वपूर्ण घोषणाके साथ प्रधान मंत्रीने ‘प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजनाÓ के तहत ८० करोड़ लोगोंको नवम्बरतक मुफ्त अनाज उपलब्ध करानेका भरोसा दिया है, जो गरीब जनताके लिए काफी राहतकारी है। प्रधान मंत्री मोदीने कोरोनाकालके दौरान आयी चुनौतियोंका भी उल्लेख किया और इसका सफलतापूर्वक सामना करनेमें जिन लोगोंका सहयोग मिला उनके प्रति आभार भी व्यक्त किया। निश्चित रूपसे कोरोनाके खिलाफ जंगके दौरान देशको काफी कुछ सीखनेका अवसर मिला। साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्रको मजबूत करनेकी दिशामें भी उल्लेखनीय प्रयास किये गये। टीकाकरण अभियानको जिस प्रकारसे देशमें चलाया गया और कम समयमें २३ करोड़ लोगोंको टीके लगाये गये, वह बड़ी उपलब्धि है लेकिन इस दिशामें देशको अभी लम्बी यात्रा करनी है। इसीलिए केन्द्र सरकारने टीकाकरण अभियानकी रणनीतिको धार देनेकी कोशिश की है। इससे अच्छे परिणामोंकी उम्मीद की जा सकती है।

परीक्षापर उचित निर्णय

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालयने नीट (नेशनल एलिजिबिलटी कम एंट्रेंस टेस्ट) और जईई (ज्वाइंट एण्टे्रंस इक्जामिनेशन) की परीक्षाएं रद नहीं करनेका महत्वपूर्ण निर्णय कर उचित कदम उठाया है। अब इन दोनों परीक्षाओंको लेकर संशयकी स्थिति समाप्त हो गयी है। कोरोना संकटकालमें सीबीएसई बोर्डकी परीक्षाएं रद होनेके बाद यह प्रश्न उठने लगा था कि नीट-जेईईकी परीक्षाएं होंगी अथवा नहीं। दोनों प्रतियोगी परीक्षाओंको रद करनेके लिए दबाव बढऩे लगा था लेकिन राष्टï्रीय स्तरपर कोरोना महामारीकी दूसरी लहरका नियंत्रणके बाद केन्द्र सरकारने इन परीक्षाओंको करानेका निर्णय किया है। इससे उन लोगोंको राहत मिलेगी जो इसके लिए लम्बे समयसे तैयारी कर रहे थे। कोरोनाकी स्थितिमें सुधारका क्रम बना हुआ है। इन परीक्षाओंका आयोजन करनेवाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) परीक्षाओंकी तैयारीमें जुट गयी है। ऐसी सम्भावना है कि अगले सप्ताह परीक्षा कार्यक्रमोंकी घोषणा की जा सकती है। शिक्षा क्षेत्रसे जुड़े विशेषज्ञोंका भी मानना है कि दोनों ही परीक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए। बिना प्रवेश परीक्षाके छात्र और छात्राओंका चयन ठीकसे नहीं हो पाता है। इसे ध्यानमें रखते हुए ही केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालयने परीक्षाओंके आयोजनकी स्वीकृति प्रदान की। इस निर्णयसे परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकोंकी चिन्ता दूर हुई। अब छात्र-छात्राओंको प्रवेश परीक्षाओंकी तैयारीमें जुट जाना चाहिए। इसीके साथ ही केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय केन्द्रीय विश्वविद्यालयोंके लिए भी प्रवेशके लिए संयुक्त परीक्षा करानेपर विचार कर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीतिमें इसकी संस्तुति की गयी है। इसे नये शैक्षणिक सत्रसे लागू करानेकी सरकारने घोषणा भी की है। देशमें कोरोनाका संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है। खतरे बने हुए हैं। इसलिए पूरी सुरक्षा व्यवस्थाको ध्यानमें रखते हुए ही परीक्षाओंका आयोजन किया जाना चाहिए।