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डेल्टा वैरिएंट के खतरे को 100 फीसद तक रोकती है मोनोक्लोनल एंटीबाडी


हैदराबाद, । कोरोना वायरस महामारी को लेकर हर दिन नए अध्‍यन हो रहे हैं। एक नए अध्‍ययन में ये बात सामने आई कि मोनोक्लोनल एंटीबाडी-ड्रग काकटेल कोविड 19 डेल्‍टा वैरिएंट के मरीज के इलाज और इस वायरस से मौत के खतरे से 100 प्रतिशत सुरक्षित देती है। मोनोक्लोनल एंटीबाडी-ड्रग काकटेल ने कोविड -19 के चमत्कारिक इलाज विश्‍व भर के डॉक्‍टरों को आकर्षित किया है। जब इसे पूर्व-अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर अजमाया गया था तब ये प्रारंभिक वैज्ञानिक प्रमाण पर्याप्त नहीं हुए थे। कुछ अध्ययन ऐसे थे जिन्होंने इसकी प्रभावशीलता को दिखाया लेकिन दुनिया भर में कोविड 19 के डेल्टा वैरिएंट पर कोई अध्ययन नहीं किया गया था।

डेल्‍टा वैरिएंट के ये थेरेपी है वरदान

एआईजी हॉस्पिटल्स ने एशियन हेल्थकेयर फाउंडेशन, सीसीएमबी हैदराबाद और इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज के साथ मिलकर यह साबित कर दिया है कि मोनोक्लोनल थेरेपी कोविड 19 के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में गंभीर बीमारी और मृत्यु को 100 प्रतिशत तक कम करती है। डेल्टा वैरिएंट जो कोरोना वायरस का सबसे खराब वैरिएंट है, किसी भी अन्य प्रकार की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ता है और जान के लिए खतरा बन जाता है।

भारत में दूसरी लहर डेल्‍टा वेरिएंट के कारण आई थी

भारत में कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वैरिएंट के कारण आई थी। एआईजी अस्पताल के अध्यक्ष, डाक्टर डी नागेश्वर रेड्डी ने कहा कि परिणाम आश्चर्यजनक हैं और कोविड-19 के उपचार के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति को आकार देंगे, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में, जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक या यहां तक ​​​​कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, गर्भावस्था, पुरानी बीमारियों से ग्रसित हैं। सभी को इससे अत्यधिक लाभ होगा। हमने अपने शोध में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है कि जब सही समय पर मोनोक्लोनल थेरेपी दी जाती है, तो रोग को बढ़ने से बिलकुल रोक देता है।