बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू और डायरेक्टर अनुराग कश्यप पर आयकर विभाग के छापे पर राजनीति शुरू हो गई है. विपक्ष ने इस छापेमारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि देश में हर प्रकार की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है.
शिवसेना ने कहा कि तापसी और अनुराग कश्यप जैसे गिने-चुने लोग किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े रहे, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है, 2011 में किए गए एक लेन-देन के संदर्भ में ये छापे पड़े हैं, इन लोगों ने एक ‘प्रोडक्शन हाउस’ बनाया और उसके टैक्स से संबंधित ये मामला है, जिस हिसाब से इन्कम टैक्स ने छापे मारे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ तो है ही, लेकिन छापे मारने के लिए या कार्रवाई करने के लिए सिर्फ इन्हीं लोगों को क्यों चुना गया?
शिवसेना ने कहा कि ‘बॉलीवुड’ में लॉकडाउन काल में कई मुश्किलें हैं, फिल्मांकन और नए निर्माण बंद हैं, थिएटर बंद हैं, एक बड़ा उद्योग-व्यवसाय जब आर्थिक संकट में पड़ा हो, ऐसे में राजनीतिक बदला लेने के लिए ऐसे हमले करना ठीक नहीं है, सिने जगत में मोदी सरकार की खुलकर चमचागीरी करनेवाले कई लोग हैं, क्या उनका लेनदेन साफ है?
शिवसेना ने कहा कि सब लोग सत्ताधारियों की पालकी ढोनेवाले होंगे ये जरूरी नहीं है, कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और समय आने पर वे बता भी देते हैं तथा वे पर्दे पर जिस तरह की संघर्षमय भूमिका अदा करते हैं, वैसा ही असल जीवन में भी जीने का प्रयास करते हैं, ‘पिंक’, ‘थप्पड़’ और ‘बदला’ जैसी फिल्मों में तापसी का जोरदार अभिनय जिन्होंने देखा होगा वे ऐसा नहीं पूछेंगे कि तापसी इतनी मुखर क्यों हैं? अनुराग कश्यप के बारे में भी यही कहना पड़ेगा.
शिवसेना ने कहा कि जेएनयू जाने पर दीपिका पादुकोण के खिलाफ सोशल मीडिया पर गंदी मुहिम चलाई गई, ये सब करनेवाले लोग कौन हैं या किस विचारधारा के हैं, ये छोड़ो, लेकिन यह तय है कि ऐसे काम करके वे लोग देश की प्रतिष्ठा बढ़ा नहीं रहे हैं, पर्यावरणवादी कार्यकर्ता दिशा रवि को जिस घृणास्पद तरीके से गिरफ्तार किया गया और उसको लेकर जिस प्रकार दुनियाभर में मोदी सरकार पर टीका-टिप्पणी हुई, इससे देश की ही बेइज्जती होती है.