काबुल, । अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद आए दिन देश नई-नई मुश्किलों का सामना कर रहा है। तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार देश को पूर्ण कौशल से चलाने में असमर्थ साबित हो रही है। अफगान के लोग आर्थिक और शारीरिक संकट की मार झेल रहे हैं। देश में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं तो वहीं तालिबान सरकार को पेशेवर कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय मीडिया ने शनिवार को सूचना दी है कि क्योंकि देश में सरकारी पदों पर अधिकारियों के पास पेशेवर कौशल की कमी है, इसलिए अफगानिस्तान को सरकारी कामकाजों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
टोलो न्यूज ने न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया
टोलो न्यूज ने न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया, ‘चयनित धर्मशास्त्रियों में से कई दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे से स्नातक हैं, जो पाकिस्तान के सबसे पुराने और सबसे बड़े इस्लामी मदरसे में से एक है। सरकारी नौकरियां पाकिस्तान में चुपचाप रहने वाले पूर्व लड़ाकों और निर्वासितों को संरक्षण के रूप में दी जाती हैं। लेकिन सभी के पास नौकरी के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल नहीं है।’
इस्लामिक अमीरात के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी ने इस पूरी खबर को मानने से इनकार कर दिया है। टोलो न्यूज ने प्रवक्ता करीमी के हवाले से कहा, ‘हम न्यूयार्क टाइम्स की उस रिपोर्ट का खंडन करते हैं जिसमें कहा गया है कि इस्लामिक अमीरात को कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है’
वरिष्ठ सदस्य वाहिदुल्ला हाशिमी ने कहा
अफगान मीडिया ने बताया कि सैनिकों को प्रशिक्षण और शिक्षित करने के लिए इस्लामिक अमीरात की परिषद के एक वरिष्ठ सदस्य वाहिदुल्ला हाशिमी ने कहा कि पूर्व सरकार में भ्रष्टाचार के साथ-साथ विदेशियों की प्रतिभा को खत्म करने के लिए विदेशियों की साजिश रही है।