नई दिल्ली, देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। देश के हर कोने से लोग यहां आना चाहते हैं। कोई घूमने और खरीददारी के लिए तो कोई नौकरी-रोजगार या फिर पढ़ाई के लिए। नौकरी-रोजगार के लिए आने वाले ज्यादातर लोग दिल्ली या एनसीआर में स्थायी रूप से बस भी जाते हैं।
ऐसे में दिल्ली-एनसीआर की आबादी तेजी से बढ़ने के साथ पिछले कई सालों से वाहनों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। सार्वजनिक वाहनों के इस्तेमाल के बजाय ज्यादातर लोग अपने वाहनों से चलना कहीं अधिक सुविधाजनक समझते हैं। इसका एक प्रमुख कारण दिल्ली-एनसीआर के तमाम इलाकों में सार्वजनिक परिवहन के साधनों की उपयुक्त व्यवस्था न हो पाना हो सकता है। आवश्यकता से कई गुना वाहन होने और कल-कारखानों के कारण दिल्ली-एनसीआर पिछले कई वर्षों से प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है।
बेशक मेट्रो रेल की सेवाएं तेजी से बढ़ रही हैं, इसके बावजूद तमाम कारणों से यहां प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ना बेहद चिंताजनक है। नवंबर के महीने में पराली के कारण इस समस्या के और विकराल हो जाने से लोगों की जीवन संकट में पड़ जाता है। चिंताजनक यह भी है कि सर्वोच्च न्यायालय तक की लगातार टिप्पणी और निर्देश के बाद भी स्थिति में कोई खास बदलाव होता नहीं नजर आ रहा है। निर्माण कार्यों पर रोक लगाने और सड़कों पर पानी के छिड़काव जैसे उपाय भी अधिक कारगर नहीं साबित हो रहे। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में और गंभीरतापूर्वक सोचने और उस पर सतत निगरानी के साथ अमल भी करने की जरूरत है, ताकि लोगों को दमघोंटू हवा से निजात मिल सके।