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दिल्ली को दूसरे राज्यों की तुलना में कम ऑक्सीजन सप्लाई क्यों? हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब


  • दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा और दिल्ली में मरीजों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन सप्लाई क्यों नहीं हो पा रही है. जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने केंद्र सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देने को कहा है. दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सीनियर वकील राहुल मेहरा ने कहा कि दिल्ली में प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है जबकि यहां सिर्फ 480-490 मीट्रिन टन ही सप्लाई किया गया.

मामले में कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी सीनियर वकील राजशेखर राव ने कोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र ने 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी, लेकिन उसे 1,661 मीट्रिक टन दिया गया है. इसी तरह मध्य प्रदेश ने 445 मीट्रिक टन की मांग की थी, उसे 543 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई किया गया है. इसी तरीके से दूसरे राज्यों में मांग के अनुरूप या उससे ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचाया गया लेकिन दिल्ली में ऐसा नहीं किया गया. इन आंकड़ों पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक दिन का समय देकर जवाब मांगा और कहा कि उसे इस पर स्पष्टीकरण देना होगा.

दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई और कोविड-19 से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा इस पर हलफनामा दायर कर केंद्र सरकार जवाब देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी. उन्होंने कहा, “ऐसे राज्य भी हैं जिन्हें मांग से कम आपूर्ति की गई है.” उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की आबादी ज्यादा है और वहां जो जिलों में ऑक्सीजन की मांग काफी बढ़ी है.

मेहता ने कोर्ट को बताया, “दिल्ली सरकार ने 700 मीट्रिक टन की मांग की थी. 490 मीट्रिक टन आवंटन किया गया. असल में दिल्ली में 335-340 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई हो रहा है, जो हमारे आकलन के हिसाब से पर्याप्त है. हम महामारी की स्थिति से वाकिफ है. पैनिक करने की जरूरत नहीं है.”

अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया- HC

इस पर कोर्ट ने कहा कि पैनिक ग्राउंड पर है. बेंच ने कहा, “हमें कई सारे कॉल रहे हैं. आपको (तुषार मेहता) भी बेड की मांग को लेकर कॉल आ रहे होंगे. दिल्ली में लोग जूझ रहे हैं और ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की जानें जा रही हैं. लोगों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं. आज स्थिति यह है कि अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया है, क्योंकि उनके पास ऑक्सीजन नहीं हैं. इस मुद्दे का जल्द समाधान करें.”