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दिल्ली में आठ साल की बच्ची को दुष्कर्मी से हुआ HIV, महिला आयोग ने दिल्ली सरकार से की सख्त कार्रवाई की मांग


नई दिल्ली, दिल्ली में एक आठ साल की दुष्कर्म पीड़िता बच्ची के एचआईवी संक्रमित (Human immunodeficiency virus) होने के बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया है। मामला सामने आने के बाद दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) ने स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को से कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं।

दुष्कर्मी से HIV संक्रिमत हो रहीं पीड़िताएं

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि राजधानी में 8 साल की बच्ची के साथ बेरहमी से दुष्कर्म किया गया। बच्ची के पूरे शरीर पर गंभीर चोट के निशान थे। उसके साथ दुष्कर्म करने वाला आरोपित एचआईवी पाजिटिव था। दुष्कर्म के बाद पीड़िता भी वायरस से संक्रमित हो गयी। स्वाति मालीवाल ने बताया कि एचआईवी के लिए यौन हिंसा की पीड़िताओं के लिए उचित बचाव और उपचार सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत तंत्र समय की आवश्यकता है। दिल्ली में इसे लागू नहीं किया जा रहा है।

दिल्ली के सरकारी अस्पताल बरत रहे लापरवाही

महिला आयोग ने बताया कि दिल्ली के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए पहले और बाद में नियमित अंतराल पर एचआईवी परीक्षण की सलाह नहीं दी जाती है। वहीं दिल्ली पुलिस केवल ज्यादातर अस्पतालों में दुष्कर्म के आरोपित का एचआईवी स्टेटस नहीं जमा कर रही है। महिला आयोग का कहना है कि आईसीटीसी केंद्र सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक खुले रहते है, जिस कारण दुष्कर्म पीड़िताओं को एचआईवी परीक्षण के लिए अगले दिन वापस आना पड़ता है। इससे उनके एचआईवी परीक्षण और परामर्श प्राप्त करने की संभावना कम हो जाती है।

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दिल्ली महिला आयोग की सिफारिश की प्रमुख बातें-

  • महिला आयोग ने मामले पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट में दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को यौन हिंसा की पीड़िताओं के लिए एचआईवी से बचने के लिए तत्काल उठाये जाने वाले क़दमों और उनका उपचार सुनिश्चित करने के लिए सिफारिशें दी हैं।
  • मुख्य रूप से आयोग ने सिफारिश में कहा कि सभी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से यौन हिंसा की पीड़िताओं को पहली बार के साथ साथ 3 और 6 महीने के अंतराल पर एचआईवी परीक्षण सुनिश्चित करना चाहिए।
  • इसके अलावा, दिल्ली पुलिस को उनके द्वारा जारी किए गए 2019 के स्थायी आदेश संख्या 303 का पालन करने की सिफारिश की गई है, जो जांच और पर्यवेक्षी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि आरोपी की चिकित्सा परीक्षा करवाते समय एसटीडी/एसटीआई का परीक्षण भी करवाया जाए, ताकि अगर कोई भी आरोपी किसी बीमारी से पीड़ित हो, तो पीड़िता को जल्द से जल्द जरूरी इलाज मुहैया कराया जा सके।
  • आयोग ने दिल्ली पुलिस को यह भी सिफारिश की कि सभी जिलों के अस्पतालों और पीड़ितों को आरोपी की एचआईवी पाजिटिव की स्थिति के बारे में सूचित किया जाए, ताकि पीड़िताओं को जल्द से जल्द उपचार प्रदान किया जा सके। महिला आयोग ने 30 दिनों में इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।