नयी दिल्ली। देश की ईंधन की मांग में दिसंबर में लगातार चौथे महीने बढ़ोतरी हुई है। आर्थिक गतिविधियां फिर शुरू होने से ईंधन की खपत दिसंबर में 11 महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गई है। हालांकि, यह कोविड-19 के पूर्व के स्तर से अभी दो प्रतिशत कम है। पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर, 2020 में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल मांग सालाना आधार पर घटकर 1.85 करोड़ टन रह गई। एक साल पहले समान महीने में यह 1.89 करोड़ टन थी। परिवहन और कारोबारी गतिविधियां शुरू होने से दिसंबर में ईंधन की खपत माह-दर-माह आधार पर लगातार चौथे महीने बढ़ी है। नवंबर, 2020 में देश में ईंधन की खपत 1.78 करोड़ टन रही थी। पेट्रोल की खपत सितंबर में कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंची थी। वहीं डीजल की खपत अक्टूबर में सामान्य हुई थी। हालांकि, नवंबर में इसकी मांग में फिर गिरावट आई। दिसंबर में भी इसकी मांग घटी है। अक्टूबर में डीजल की मांग सालाना आधार पर 7.4 प्रतिशत बढ़ी थी। नवंबर में यह 6.9 प्रतिशत और दिसंबर में 2.7 प्रतिशत घटकर 71.8 लाख टन रह गई। हालांकि, माह-दर-माह आधार पर डीजल की मांग मामूली सुधरी है। नवंबर में यह 70.4 लाख टन रही थी। कोरोना वायरस के प्रसार पर अंकुश के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अप्रैल में ईंधन की मांग 49 प्रतिशत घटी थी। 69 दिन के राष्ट्रीय स्तर के लॉकडाउन के बाद स्थानीय और राज्यस्तर पर भी अंकुश लगाए। हालांकि, बाद में इन अंकुशों में धीरे-धीरे ढील दी गई। नियंत्रण वाले क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर अंकुश अभी कायम हैं। त्योहारी सीजन की शुरुआत से ईंधन की खपत में वृद्धि शुरू हुई। लेकिन देश के ज्यादातर हिस्सों में स्कूल और शैक्षणिक संस्थान अभी बंद हैं। ऐसे में सार्वजनिक परिवहन अभी सामान्य नहीं हो पाया है। दिसंबर में नाफ्था की मांग 2.67 प्रतिशत घटकर 12.3 लाख रह गई। इसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए औद्योगिक ईंधन के रूप में तथा पेट्रोरसायन उत्पादन में होता है। हालांकि, सड़क निर्माण में काम आने वाले बिटुमन की खपत दिसंबर में 20 प्रतिशत बढ़कर 7,61,000 टन पर पहुंच गई। एलपीजी एकमात्र ईंधन है जिसकी मांग लॉकडाउन में भी बढ़ी थी। सरकार ने गरीब परिवारों को रसोई गैस सिलेंडर मुफ्त दिए थे। दिसंबर में एलपीजी की मांग 7.4 प्रतिशत बढ़कर 25.3 लाख टन पर पहुंच गई। विमान ईंधन एटीएफ की मांग दिसंबर में सालाना आधार पर 41 प्रतिशत घटकर 4,28,000 टन रह गई। माह-दर-माह आधार पर एटीएफ की मांग में 13.5 प्रतिशत का सुधार हुआ।