सम्पादकीय

दृष्टिकोण


 जग्गी वासुदेव

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसी परिस्थितिमें हैं, आप या तो उसे अपना वरदान बना सकते हैं या उसे अपना अभिशाप बना सकते हैं। सबसे भयानक परिस्थितियां भी एक इनसानका निर्माण कर सकती हैं। दूसरे विश्वयुद्धकी एक खास घटना है। १३ सालकी एक लड़की थी। जब हिटलर यहूदी लोगोंको ढूंढ़कर उन्हें यातना शिविरमें भेज रहा था। एक दिन सुबह सिपाही उनके घरमें घुस गये। यह एक समृद्ध यहूदी परिवार था। सिपाही आये, घरपर कब्जा कर लिया और बड़ों और बच्चोंको अलग-अलग करके कहीं ले गये। १३ सालकी लड़की और उसके आठ सालके भाईको रेलवे स्टेशन ले जाया गया। यह सर्दीकी शुरुआत थी। अब उस समृद्ध परिवारके बच्चे रेलवे स्टेशनपर तीन दिनतक थे, उनके माता-पिता कहां ले जाये गये थे, उन्हें पता नहीं था और सिपाही उनपर बंदूक ताने खड़े थे। लेकिन बच्चे सिर्फ थोड़ी देरके लिए ही दुखी होते हैं। उसके बाद उन्हें कोई चीज मिलती है, वह खेलने लगते हैं। तो लड़का एक पत्थरसे थोड़ा फुटबॉल खेलने लगा। तीन दिन बाद एक ट्रेन आयी। हर किसीको एक डिब्बेमें धकेल दिया गया और तब लड़कीने गौर किया कि उसका भाई अपने जूते स्टेशनपर भूल गया था। वह उसपर आग बबूला हो गयी और उसके कान मरोड़े, क्योंकि बिना जूतोंके इस ठंडमें बहुत मुश्किल होनेवाली थी। अगले स्टेशनपर लड़के और लड़कियोंको अलग करके कहीं और ले जाया गया। साढ़े पांच साल बाद लड़की यातना शिविरसे बाहर आयी तो उसे पता चला कि उसके परिवारके सभी सदस्य, उसका भाई भी मर चुके थे। उस पलमें उसे सिर्फ एक चीज महसूस हुई थी, वह आखिरी पल जो उसने अपने भाईके साथ कितना बुरा बर्ताव किया था। उसने उसके कान मरोड़े थे। इस बातकी वजहसे उसने संकल्प लिया, आजसे इससे फर्क नहीं पड़ता कि किससे मिलती हूं, उससे उस तरह बोलूंगी, जैसे यदि उससे आखिरी बार बात कर रही होती। यदि आप जागरूक हैं और उसके संपर्कमें हैं जो हर मनुष्यके भीतर है तो यदि आप नरकमें भी जीवनका निर्माण कर सकते हैं। वरना यदि आप स्वर्गमें भी हों, उससे सिर्फ झमेला ही पैदा करेंगे। आपको किसने बताया कि पहलेसे ही स्वर्गमें नहीं हैं। ऐसा क्यों सोचते हैं कि एक और दूसरी जगह है जो इससे बेहतर है। यह भयानक सोच कि यहांसे बेहतर एक और दूसरी जगह है, उन लोगोंके द्वारा पैदा की गयी है, जिन्होंने खुदको नरक बना डाला है। यदि आप खुदको एक स्वर्ग बना लेते हैं, यदि आप परमानंदमें हैं तो आप कहीं और क्यों जाना चाहेंगे। व्यक्तिको हमेशा यह देखना चाहिए कि वह खुदको स्वर्ग कैसे बनाये।