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देसा में देस हरियाणा, जीत दूध दही का खाना! दीपेंद्र हुड्डा ने राहुल गांधी को लेकर सोशल मीडिया पर क्यों किया ऐसा पोस्ट?


रोहतक। बहादुरगढ़ के गांव छारा स्थित लाला दीवानचंद अखाड़े में बुधवार सुबह करीब सवा छह बजे कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Rahul Gandhi) पहुंचे। पहलवान बजरंग पूनिया भी इस दौरान उनके साथ थे। राहुल ने पहलवानों से करीब दो घंटे बातचीत भी की थी। इसी को लेकर हरियाणा से राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा(Deepender Singh Hooda) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा।

बाजरा की रोटी, दही, नोनी घी और साग हरा,

देसा में देस हरियाणा, जीत दूध दही का खाना!@BajrangPunia pic.twitter.com/1xb6NPsrsQ

— Deepender S Hooda (@DeependerSHooda) December 27, 2023

राहुल गांधी की एक तस्वीर को शेयर करते हुए लिखी ये बात

इसी को लेकर हरियाणा से राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा(Deepender Singh Hooda) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा। जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की एक तस्वीर को शेयर करते हुए कहा” बाजरा की रोटी, दही, नोनी घी और साग हरा… देसा में देस हरियाणा, जीत दूध दही का खाना!”

वर्षों की जीतोड़ मेहनत, धैर्य एवं अप्रतिम अनुशासन के साथ अपने खून और पसीने से मिट्टी को सींच कर एक खिलाड़ी अपने देश के लिए मेडल लाता है।

आज झज्जर के छारा गांव में भाई विरेंद्र आर्य के अखाड़े पहुंच कर ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया समेत अन्य पहलवान भाइयों के साथ चर्चा की।

बता दें इस तस्वीर में राहुल गांधी बजरंग पुनिया(Bajrang Punia) के साथ बैठकर खाना खाते हुए नजर आ रहे हैं। इस अखाड़े में ही बजरंग पूनिया ने बचपन में कुश्ती का अभ्यास शुरू किया था। राहुल गांधी ने भी कुश्ती का अभ्यास किया और वापिस दिल्ली चले गए।

राहुल गांधी ने बजरंग पुनिया के साथ की मुलाकात

वहीं राहुल गांधी ने अब अपने हरियाणा दौरे को लेकर सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि “वर्षों की जीतोड़ मेहनत, धैर्य एवं अप्रतिम अनुशासन के साथ अपने खून और पसीने से मिट्टी को सींच कर एक खिलाड़ी अपने देश के लिए मेडल लाता है। आज झज्जर के छारा गांव में भाई विरेंद्र आर्य के अखाड़े पहुंच कर ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया समेत अन्य पहलवान भाइयों के साथ चर्चा की।”

 

पहलवानों के पक्ष में लिखते कांग्रेस नेता ने आगे कहा

“सवाल सिर्फ एक है – अपने अखाड़े की लड़ाई छोड़ अगर इन खिलाड़ियों, भारत की बेटियों को अपने हक और न्याय की लड़ाई सड़कों पर लड़नी पड़े तो कौन अपने बच्चों को यह राह चुनने के लिये प्रोत्साहित करेगा? यह किसान परिवार के निश्छल, सीधे एवं सरल लोग हैं, इन्हें तिरंगे की सेवा करने दीजिए। इन्हें पूरे मान और सम्मान के साथ भारत का सर गौरव से ऊंचा करने दीजिए।”