मुंबई, । देश में डिजिटल लेन-देन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यही कारण है कि हाल ही में समाप्त हुए दिवाली सप्ताह के दौरान देश में नोटों के प्रचलन में दो दशक में पहली बार कमी दर्ज की गई है। एसबीआइ रिसर्च की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दिवाली सप्ताह के दौरान देश में प्रचलित नोटों के मूल्य में 7,600 करोड़ रुपये की कमी रही है।
संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था
रिपोर्ट में एसबीआइ के आर्थशास्त्रियों ने कहा है कि लोगों की डिजिटल भुगतान पर बढ़ती निर्भरता के कारण यह संभव हुआ है। आर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय एक संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रही है। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 2009 में भी दिवाली सप्ताह के दौरान देश में प्रचलित नोटों के मूल्य में 950 करोड़ रुपये की कमी रही थी। लेकिन तब वैश्विक वित्तीय संकट के कारण आई आर्थिक मंदी के चलते ऐसा हुआ था।
भारतीय भुगतान प्रणाली में हुआ है बदलाव
आर्थशास्त्रियों का कहना है कि तकनीक में नवाचार से भारतीय भुगतान प्रणाली बदल गई है। बीते वर्षों में नकदी पर आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था अब स्मार्टफोन आधारित भुगतान अर्थव्यवस्था में बदल गई है। रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था को डिजिटलाइज बनाने के लिए सरकारी प्रयासों की भी सराहना की गई है।
लगातार बढ़ रही है डिजिटल ट्रांजेक्शन की हिस्सेदारी
इंटरआपरेबल पेमेट्स सिस्टम जैसे यूपीआइ, वालेट और पीपीआइ से पैसे का डिजिटल हस्तांतरण आसान हुआ है। डिजिटल ट्रांजेक्शन की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2016 के 11.26 प्रतिशत के मुकाबले 2022 में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 80. प्रतिशत पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2027 तक इसकी हिस्सेदारी 88 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है।