रंजना मिश्र। भारत ने इस वित्त वर्ष यानी 2021-22 के दौरान 31 मार्च तक 400 अरब अमेरिकी डालर के मूल्य के माल के निर्यात का लक्ष्य रखा था, जिसे नौ दिन पूर्व ही पूरा कर लिया। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान यह आंकड़ा 292 अरब अमेरिकी डालर का था। जाहिर है कि निर्यात के क्षेत्र में यह भारत की एक बड़ी उपलब्धि है। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में निश्चित ही एक मील का पत्थर साबित होगी। गर्व की बात है कि यह उपलब्धि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन जंग के बीच हासिल हुई है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों, छोटे-बड़े उद्यमियों और निर्यातकों को बधाई दी है। प्रमुख निर्यातक सामानों में पेट्रोलियम, इलेक्ट्रानिक्स, चमड़ा, काफी, प्लास्टिक, मांस, डेयरी, समुद्री और तंबाकू उत्पाद शामिल हैं।
किसी भी देश का विकास उस देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर निर्भर करता है। वहीं किसी देश का निर्यात जितना अधिक होता है, उसकी अर्थव्यवस्था का विकास भी उतना ही अधिक होता है। दुनिया के बहुत से देश मजबूत निर्यात के बल पर ही अपने विकास को गति दे पाए हैं। यही सोच भारत के लिए भी सही साबित हो रही है कि अगर हम निर्यात को गति देंगे तो इससे हमारे देश में विभिन्न उद्योग धंधे स्थापित होंगे और विभिन्न वस्तुओं के निर्माण में तेजी आएगी। इससे देश के व्यापार में वृद्धि होगी। देश में रोजगार बढ़ेगा। ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिलेंगी। अंतत: देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इससे देश आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा। इसीलिए निर्यात की जब भी बात की जाती है तो उसके आंकड़ों पर सबकी नजरें रहती हैं।