Latest News नयी दिल्ली राष्ट्रीय

पंजाब एंड सिंध बैंक की अपील याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी


नई दिल्ली । जालसाजी और फर्जीवाड़ा मामले में अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि बैंक की मुहर का अनधिकृत रूप से उपयोग बहुत गंभीर मामला है और इसे आसानी से माफ नहीं कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि किसी सहकर्मी के जाली हस्ताक्षर करना या किसी तीसरे पक्ष द्वारा इस तरह की जालसाजी करने पर आंखें मूंद लेना और उसका लाभ उठाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।पीठ ने उक्त टिप्पणी व आदेश पंजाब एंड सिंध बैंक की अपील याचिका पर दिया।

बैंक ने केंद्र सरकार के औद्योगिक न्यायाधिकरण सह श्रम न्यायालय द्वारा पारित नौ अक्टूबर 2019 के फैसले को चुनौती दी थी। न्यायालय ने कामगार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को अनुचित बताया था। न्यायालय के आदेश को रद करते हुए पीठ ने अनुशासनिक प्राधिकारी द्वारा पारित 31 जनवरी 2007 के आदेश बरकरार रखा। बैंक ने कर्मचारी को आरोप पत्र देते हुए आरोप लगाया था कि उसने आइडीबीआइ बैंक से आवास ऋण प्राप्त करने के लिए तत्कालीन शाखा प्रबंधक के जाली हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया था। वहीं, कर्मचारी ने आरोपों से इन्कार करते हुए आइडीबीआइ बैंक के एजेंट को जिम्मेदार ठहराया था