सिद्धू मूसेवाला के पूर्व मैनेजर शरणप्रीत के वकील भी विनोद घई थे। तकनीकी कारणों से विनोद घई की नियुक्ति पर सवाल खड़े हो सकते हैं जैसे पहले एपीएस देओल की नियुक्ति के दौरान खड़े हुए थे। हाई कोर्ट में सरकार के खिलाफ जितने भी बड़े केस हैं सभी में विरोधी पक्ष की तरफ से विनोद घई वकील है।
वहीं, भगवंत मान सरकार के सत्ता में आने के बाद अनमोल रतन सिद्धू को एजी के पद पर नियुक्त किया गया था। सिद्धू ने इस्तीफा किन कारणों से दिया अभी इस बारे में पता नहीं चल पाया है। सिद्धू ने इसी वर्ष 19 मार्च को अपना कामकाज संभाला था।
अनमोल रतन सिद्धू असिस्टेंट सालिस्टर जनरल आफ इंडिया व पंजाब के एडिशनल एडवोकेट जनरल भी रह चुके हैं। अनमोल रतन सिद्धू को पूर्व की चन्नी सरकार ने भी एजी बनाने की की थी घोषणा, लेकिन राजनीतिक कारणों से उनकी नियुक्ति पर पेंच फंस गया था।
मान सरकार ने उनकी नियुक्ति तो की, लेकिन बहुत कम समय में ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सिद्धू से पहले डीएस पटवालिया पंजाब के एजी थे। बताया जा रहा है कि सरकार ने नए एजी की नियुक्ति भी कर दी है।
बता दें, अनमोल रतन मान कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। आम आदमी पार्टी सरकार ने जब उनकी नियुक्ति की थी तब राजनीतिक पंडित इससे हैरान थे। पूर्व की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार भी अनमोल रतन सिद्धू को एजी बनाना चाहते थे, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने इसमें अड़ंगा फंसा दिया था। इसके बाद पटवालिया को एजी नियुक्ति किया गया था।
अनमोल रतन सिद्धू मनमोहन सिंह सरकार में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में असिस्टेंट सालिस्टर जनरल आफ इंडिया भी रहे हैं। सिद्धू बार काउंसिल के चेयरमैन व पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के आठ बार भी प्रधान रह चुके हैं।
अपनी नियुक्ति के समय अनमोल गगन सिद्धू ने घोषणा की थी वह महाधिवक्ता के तौर पर सिर्फ एक रुपये वेतन लेंगे। उन्होंने अपने वेतन की राशि नशा पीड़ितों के इलाज में खर्च करने की घोषणा की थी।