डीजीपी भावरा की चार सितंबर को छुट्टी खत्म हो रही है, लेकिन सरकार फिर नहीं देना चाहती कार्यभार
नए नियमों के मुताबिक डीजीपी को दो साल से पहले हटाया नहीं जा सकता है इसलिए मुख्यमंत्री दफ्तर से लेकर उच्च स्तर पर होने वाली बैठकों में यही चर्चा चल रही है कि इसका क्या विकल्प खोजा जाए। वैसे डीजीपी पर दबाव बनाने के लिए सरकार ने उन्हें सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा को लेकर नोटिस जरूर जारी किया है, लेकिन डीजीपी भावरा अपनी छुट्टी और बढ़ाने का राजी नहीं हैं। ऐसे में सरकार की स्थिति भी असमंजस वाली हो गई है।
अभी गौरव यादव हैं पंजाब के कार्यकारी डीजीपी
काबिले गौर है कि डीजीपी वीके भावरा के दो महीने पहले छुट्टी पर चले जाने के बाद पंजाब सरकार ने गौरव यादव को कार्यकारी डीजीपी लगा दिया था। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि सरकार उन्हें ही डीजीपी लगाए रखना चाहती है इसलिए वीके भावरा को अपनी छुट्टी बढ़ाने को कहा गया था लेकिन उन्होंने साफ तौर पर मना कर दिया।
डीजीपी की नियुक्ति को लेकर पंजाब में हाल में पैदा हुआ दूसरी बार विवाद
यह दूसरा मौका है जब डीजीपी की नियुक्ति को लेकर फिर से विवाद खड़ा हो गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी ने इकबाल प्रीत सिंह सहोता को जब कार्यकारी डीजीपी लगाया तो कांग्रेस के तत्कालीन प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने बगावती रुख अख्तियार कर लिया। सिद्धू ने कहा कि जिस डीजीपी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं की उसे डीजीपी क्यों लगाया गया है।
सिद्धू के दबाव के आगे झुकते हुए तत्कालीन चन्नी सरकार ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया । इसके साथ ही स्थायी तौर डीजीपी लगाने के लिए यूपीएससी को पैनल भेज दिया गया। इस पैनल में सिद्धार्थ चट्टाेपाध्याय का नाम नहीं था जिसके चलते वीरेश कुमार भावरा को डीजीपी के तौर पर दो साल के लिए स्थायी नियुक्ति मिल गई।
भगवंत मान सरकार बनने के बाद भावरा को लेकर शुरू हुआ विवाद
मार्च महीने में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा और आम आदमी पार्टी के हाथों में सत्ता आ गई। आप ने डीजीपी के तौर पर वीके भावरा और मुख्य सचिव के तौर पर अनिरुद्ध तिवारी को बरकरार रखा लेकिन तीन महीने बाद बजट सेशन खत्म होते ही मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी को बदलकर वीके जंजुआ को मुख्य सचिव लगा दिया। हालांकि कुछ समय बाद ही डीजीपी भावरा को लेकर विवाद शुरू हो गया।
पंजाब सरकार के दबाव के बाद डीजीपी भावरा दो माह के अवकाश पर गए
सिद्धू मूसेवाला की हत्या, पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विंग के मुख्यालय में पर हमला और पटियाला में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव के कारण वीके भावरा पर दबाव बढ़ने लगा। आम आदमी पार्टी की सरकार पर अमन कानून की स्थिति को न संभाल पाने के आरोप लगने शुरू हो गए। इसी दबाव को कम करने के लिए वीके भावरा दो महीने के लिए छुट्टी पर चले गए। अब उनके लौटने की तैयारियों के बीच फिर से विवाद शुरू हो गया है।