नयी दिल्ली। कोरोना वायरसकी वजह से लगे लॉकडाउनमें लोगों ने साइकिल की सवारी खूब की। वही आदत बनी रही तो अनलॉक में लोगों ने साइकिल खूब खरीदी। जब से पेट्रोल-डीजल ने शतक बनाने को ठाना है, लोग मजबूरी में भी साइकिल की सवारी कर रहे हैं। लेकिन अब यह भी आम आदमी की पहुंच से निकल रहा है। लॉकडाउन के बाद से साइकिल 50 फीसदी तक महंगी जो हो गई है। राजधानी साइकिल डीलर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट राजीव बत्रा का कहना है कि लोहा और प्लास्टिक के लगातार बढ़ रहे दामों से साइकिल भी महंगी हो रही हैं। अब आम आदमी भी नई साइकिल खरीदने से पहले सोचने को मजबूर है। चांदनी चौक स्थित न्यू लाजपत राय मार्केट में साइकिल का कारोबार करने वाले बत्रा ने बताया कि लॉकडाउन के पहले जो रेट था, उसमें करीब 50 फीसदी तक उछाल आया है। बजट के वक्त थोड़ी मंदी जरूर आई। अब फिर रेट बढ़ रहे हैं।
बत्रा का कहना है कि 52 रुपये किलो मिलने वाला लोहा 82 रुपये तक पहुंच गया है। अब तो ऑर्डर भी कैंसल हो रहे हैं। लॉकडाउन के एक दौर में साइकिल की बिक्री बढ़ी थी। क्योंकि सारे फिटनेस सेंटर और जिम बंद थे, लोगों ने साइकिलिंग के जरिए खुद को फिट रखने का प्रयास किया। मगर, अब डिमांड में कमी आई है। कच्चे माल की कीमतें बढऩे से मैन्यफैक्चरर का मार्जन कम हो गया है। राहत की बात यह है कि पिछले एक डेढ़ महीने में बाहर के काफी ग्राहक दिल्ली आए हैं। कोरोना का असर कमजोर होने और वैक्सीन आने से लोगों का कॉन्फिडेंट बढ़ा है। अब महाराष्ट्र समेत कुछ राज्यों में कोरोना केस बढ़ रहे हैं, तो ट्रेडर्स में डर है कि कहीं मार्केट में नेगेटिव इंपेक्ट नहीं पड़ जाए। इसके चलते पिछले हफ्ते में सेल गिरी है। फिर भी कारोबारी अच्छी उम्मीद के साथ काम कर रहा है। अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, तो बिजनेस पटरी पर लौटेगा।
एस्प्लानेड के साइकिल कारोबारी विवेक गुप्ता का कहना है कि कच्चे माल की बढ़ रही कीमतों से साइकिल के रेट्स बढ़ रहे हैं। आमदनी घटने से आम आदमी इस समय खर्च करने से कतरा रहे हैं। अब बच्चों के एग्जाम शुरू हो गए हैं। मार्चे-अप्रैल में वैसे ही बिजनेस थोड़ा मंदा रहता है। बच्चों की साइकिल और खिलौनों में चाइनीज प्रॉडक्ट्स का भी इस्तेमाल होता है। अब वे भी महंगे हो गए हैं। पहले जो प्रॉडक्ट 100 रुपये का आता था, वह 150 रुपये का हो गया है। साधारण साइकिल का रेट 3700 रुपये से बढ़कर 4500 रुपये हो गया है। श्री गुप्ता बताते हैं कि फैंसी साइकिलों की कीमत में भी 1000-1200 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। बच्चों के खिलौनों के दाम में 25 प्रतिशत की तेजी आई है। 4500 रुपये में बिकने वाली कार की कीमत 6000 रुपये तक पहुंच गई है। उनका कहना है कि सरकार की नीतियों की वजह से ट्रेड्स कारोबार नहीं कर पा रहे हैं। जीएसटी के नए नियम परेशानी का सबब बन गए हैं। व्यापारी कागजी खानापूर्ति में लगे हैं। सेल डाउन हो रही है।
कोविड की वजह से सरकार पर भी आर्थिक बोझ बढ़ा है। साइकिल ट्रेडर्स को लगता है कि इसी बोझ को हल्का करने के लिए व्यापारियों से राजस्व जुटाने की कोशिश हो रही है। जीएसटी में कड़े प्रावधान कर दिए हैं। छोटी-मोटी गलती दिखाकर टारगेट पूरा करने का प्रयास है। यह ट्रेडर फ्रैंडली रवैया नहीं है। व्यापारी अपना माल बेचे या कागजों में उलझा रहे। जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द, बैंक अकाउंट सीज जैसे नए प्रावधानों ने टेंशन बढ़ा दी है। अब मार्च शुरू हो गया है। अगले महीने से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो रहा है, तो व्यापारी अप्रैल से इन्वेस्टमेंट करने की योजना बना रहे हैं।