पटना

पटना: अधिक उम्र वाले भी बन गये रसोईये


निदेशक ने जांच कर 28 तक मांगा अनुग्रह अनुदान का प्रस्ताव

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के कई जिलों में चालीस वर्ष से अधिक उम्र वाले भी रसोईया बहाल कर लिये गये। इसके साथ ही साठ वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद भी रसोईये से भी काम लिये जाते रहे हैं।

इसे मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक सतीश चन्द्र झा ने गंभीरता से लिया है, क्योंकि रसोईया-सह-सहायक के चयन के लिए अधिकतम आयु सीमा चालीस वर्ष है तथा साठ वर्ष की उम्र तक ही उनसे कार्य लेने का प्रावधान है। प्रावधान के मद्देनजर  मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक श्री झा ने अनुग्रह अनुदान राशि देने के लिए  मृत रहसोईया-सह-सहायकों की सूची जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (मध्याह्न भोजन योजना) को लौटाते हुए उन्हें हिदायत भरे शब्दों में निर्देश दिया है कि प्रावधानों के आलोक में सांगोपांग जांचोपरांत अपने स्तर से पूर्णत: संतुष्ट होने के बाद ही निर्धारित फॉर्मेट में आधार नम्बर एवं शपथ पत्र के साथ अनुग्रह राशि की मांग के लिए 28 फरवरी तक निदेशालय को उपलब्ध करायें।

श्री झा ने हिदायत दी है कि इसमें भविष्य में किसी प्रकार की विसंगति पाये जाने पर सारी जवाबदेही संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन योजना) की होगी और नियमानुसार विभागीय काररवाई के तहत वे दंड के भागी होंगे।

जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (मध्याह्न भोजन योजना) को निदेशक द्वारा दिये गये निर्देश में कहा गया है कि  कुछ जिलों से ऐसी शिकायत मिली है कि रसोईया-सह-सहायक का चयन चालीस वर्ष उम्र के बाद भी किया गया है एवं साठ वर्ष उम्र होने के पश्चात भी उनसे कार्य लिया जाता रहा है।

निर्देश में यह भी कहा गया है कि निदेशालय द्वारा 12 अगस्त, 2013 को ही सभी जिलों को निर्देश दिया जा चुका कि रसोईया-सह-सहायक के चयन हेतु न्यूनतम उम्र अठारह वर्ष एवं अधिकतम उम्र चालीस वर्ष तथा साठ वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात स्वत: कार्यमुक्त माने जायेंगे।