पटना

पटना: अपलोड होंगे 3.5 लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट


पोर्टल पर नियोजन इकाइयों की मेधा सूची भी होगी अपलोड

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। पोर्टल तैयार हो गया है। उस पर जल्द ही पंचायतीराज एवं नगर निकायों के शिक्षकों के सर्टिफिकेट अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू होगी। राज्य में पंचायतीराज एवं नगर निकाय शिक्षकों की संख्या तकरीबन साढ़े तीन लाख है। ये शिक्षक तकरीबन साढ़े  आठ हजार नियोजन इकाइयों के हैं।

इसके मद्देनजर पोर्टल पर नियोजन इकाइयों की मेधा सूची भी अपलोड होगी। आपको बता दूं कि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नियोजन इकाइयों द्वारा उपलब्ध रिक्तियों के विरुद्ध पहले अभ्यर्थियों से आवेदन लिये जाते हैं। उसके बाद तय प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थियों की मेधा सूची बनती है। मेधा सूची से ही नियोजन इकाइयां चयनित अभ्यर्थियों को शिक्षक पद पर करती हैं।  इसीलिए, शिक्षकों के सभी सर्टिफिकेट के साथ  ही नियोजन इकाइयों की अब तक की मेधा सूची भी पोर्टल पर अपलोड होगी, जिससे शिक्षक नियुक्त  हुए हैं।

शिक्षा विभाग का यह पोर्टल एनआईसी के सहयोग से तैयार हुआ है। इस पोर्टल के अस्तित्व में आने की भी अपनी अलग कहानी है। दरअसल, उच्च न्यायालय के आदेश पर पंचायतीराज एवं नगर निकाय शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच विजिलेंस कर रही है। पटना उच्च न्यायालय ने वर्ष 2015 में नियोजन इकाइयों द्वारा बहाल शिक्षकों के सर्टिफिकेट की विजिलेंस जांच का आदेश दिया था। जांच के दायरे में वर्ष 2006 से वर्ष 2015 तक बहाल शिक्षक हैं।

लेकिन, तकरीबन एक लाख तीन हजार शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर अप्राप्त हैं। इसके मद्देनजर पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश के अनुपालन में शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच के लिए पोर्टल तैयार कराये जाने का निर्णय शिक्षा था। पोर्टल को तैयार करने में शिक्षा विभाग ने एनआईसी का सहयोग लिया। अब, वेब पोर्टल तैयार है।

अब पोर्टल पर शिक्षकों के सर्टिफिकेट एवं नियोजन इकाइयों की मेधा सूची अपलोड करने को लेकर   शिक्षा विभाग आदेश जारी करने की तैयारी में है। शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों की मानें, तो वर्ष 2006 से वर्ष 2015 तक नियोजन इकाइयों द्वारा बहाल सभी शिक्षकों को पोर्टल पर अपने सर्टिफिकेट्स अपलोड करने होंगे। पोर्टल पर सर्टिफिकेट्स अपलोड करने के लिए समय-सीमा तय होगी।

तय समय-सीमा के तहत पोर्टल पर सर्टिफिकेट्स अपलोड नहीं करने वाले शिक्षकों के मामले में यह माना जायेगा कि उन्हें अपनी नियुक्ति की वैधता के संबंध में कुछ नहीं कहना है। ऐसे में उनकी नियुक्ति को प्रमथम दृष्टïया अवैध-अनियमित मान कर काररवाई की जायेगी।