मध्याह्न भोजन योजना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को हिदायत
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में 1ली से 8वीं कक्षा के कितने बच्चों को मध्याह्न भोजन योजना के तहत खाद्यान्न तो मिले गये, लेकिन उसकी इंट्री एमआईएस (सॉफ्टवेयर) में नहीं हुई है। इसे गंभीरता से लेते हुए मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक सतीश चन्द्र झा ने सभी जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (मध्याह्न भोजन योजना) को हिदायत दी है कि एमआईएस में आंकड़ों की इंट्री अविलम्ब कराना सुनिश्चित करें। इसके लिए दिये गये दस दिनों के समय में जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (मध्याह्न भोजन योजना) के पास आठ दिन ही बचे हैं।
दरअसल, मध्याह्न भोजन योजना निदेशक द्वारा की गयी एमआईएस की समीक्षा के क्रम में पाया गया कि विद्यालयों में गत दिसंबर तक का खाद्यान्न वितरण करने के बाद भी एमआईएस मासिक आंकड़ों की इंट्री अब तक नहीं हुई है। इससे भारत सरकार को आंकड़ा हस्तांतरित नहीं हो पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कोरोनाकाल में स्कूलों के बंद रहने की वजह से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चों को प्रति कार्यदिवस के हिसाब से खाद्यान्न दिये गये। खाद्यान्न के लिए स्कूलों में बच्चों के अभिभावक बुलाये गये। इसके साथ ही मध्याह्न भोजन पकाने पर खर्च होने वाली यानी परिवर्तित मूल्य की राशि बच्चों के खाते में डीबीटी के जरिये हस्तांतरित करने की व्यवस्था की गयी।
1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों के लिए प्रति बच्चा प्रति कार्यदिवस 100 ग्राम खाद्यान्न एवं प्रति कार्यदिवस परिवर्तित मूल्य की राशि 4.97 रुपये है। इसी प्रकार 6ठी से 8वीं कक्षा के बच्चों के लिए प्रति बच्चा प्रति कार्यदिवस 150 ग्राम खाद्यान्न एवं प्रति कार्यदिवस परिवर्तित मूल्य की राशि 7.45 रुपये है।
यह राशि डीबीटी के माध्यम से बच्चों के बैंक खाते में हस्तांतरित करने के लिए खाद्यान्न प्राप्त करने वाले बच्चों के नाम के मेधासॉफ्ट में प्रधानाध्यापक द्वारा ‘वाई’ निशान अंकित करने तथा खाद्यान्न नहीं लेने आने वाले अभिभावकों के बच्चों के नाम के आगे ‘एन’ निशान अंकित करने का प्रावधान है।