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- वेतन सत्यापन के लिए तय हुए नोडल अफसर
- सम्बद्ध कॉलेजों को अनुदान देने के लिए शिक्षा विभाग ने मांगा प्रस्ताव
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(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। जयप्रकाश विश्वविद्यालय ने तकरीबन 105 करोड़ रुपये की राशि का हिसाब शिक्षा विभाग को नहीं सौंपा है। यह राशि विश्वविद्यालय को वित्तीय वर्ष 2017-2018 एवं 2018-2019 में वेतन एवं गैर वेतन मद में दी गयी थी। इसके साथ ही निगरानी जांच के मद्देनजर सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों के अनुदान मद में स्नातक शैक्षिक सत्र 2008-2011 के लिए दी गयी तकरीबन 12 करोड़ रुपये की राशि विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा विभाग को लौटा दी गयी। वर्तमान में विश्वविद्यालय सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों के अनुदान के दावों की जांच कर रहा है। जांच कार्य पूरा होने के बाद वह शिक्षा विभाग को प्रस्ताव सौंपेगा। शिक्षा विभाग ने सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों को अनुदान देने के लिए विश्वविद्यालय को प्रस्ताव जल्द उपलब्ध कराने को कहा है।
शिक्षा विभाग में बुधवार को जयप्रकाश विश्वविद्यालय की समीक्षा हुई। विभाग के डॉ. मदन मोहन झा स्मृति सभागार में घंटों चली समीक्षा बैठक की अध्यक्षता शिक्षा सचिव असंगबा चुबा आओ ने की। बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फारूख अली भी थे। समीक्षा में पाया गया कि विश्वविद्यालय में शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन निर्धारण के सत्यापन के लंबित हैं। इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ द्वारा वेतन सत्यापन कोषांग में ‘वन मैन कंटेक्ट पदाधिकारी’ के तहत एक नोडल अफसर विश्वविद्यालय के लिए तय किया गया। विश्वविद्यालय द्वारा भी एक नोडल अफसर तय किया गया है।
समीक्षा बैठक में यह तथ्य सामने आया कि सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों को छात्र-छात्राओं के स्नातक के श्रेणीवार रिजल्ट के आधार पर दी जाने वाली अनुदान राशि के लिए जयप्रकाश विश्वविद्यालय ने शैक्षिक सत्र 2008-2011 के बाद 2009-2012 से 2014-2017 के लिए प्रस्ताव नहीं सौंपे हैं। विश्वविद्यालय ने बताया कि कॉलेजवार एवं विषयवार संबंधन तथा सीट संख्या का मिलान किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय से कहा कि चूंकि सम्बद्ध कॉलेजों का पावना बनता है, इसलिए मांग समय पर भेजें। सम्बद्ध कॉलेजों को वर्तमान में शिक्षा विभाग अनुदान राशि देने पर विचार कर रहा है। विश्वविद्यालय ने बताया कि स्नातक शैक्षिक सत्र 2008-2011 के लिए सम्बद्ध कॉलेजों हेतु मिली तकरीबन 12 करोड़ रुपये की राशि निगरानी जांच लंबित रहने की वजह से शिक्षा विभाग को लौटा दी गयी। इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग ने स्पष्टï शब्दों में कहा कि इस मामले में विश्वविद्यालय को ही निर्णय लेकर प्रस्ताव सौंपने हैं।
समीक्षा के क्रम में पाया गया कि विश्वविद्यालय में न्यायालय से जुड़े बहुतेरे मामले लंबित हैं। इन मामलों में विश्वविद्यालय को निर्णय लेकर सूचित करना है। बैठक में उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी, उपनिदेशक अजीत कुमार, डॉ. दीपक कुमार सिंह, शाश्वतानंद झा, विनय कुमार एवं प्रदीप कुमार सहित सभी संबंधित अधिकारी शामिल थे। बैठक में विश्वविद्यालय के कुलसचिव भी मौजूद थे। बैठक में और भी कई निर्णय लिये गये हैं।