पटना

बाढ़ नियंत्रण एवं जल निःस्सरण प्रमंडल की लापरवाही से डूब गया नालंदा


  • ग्रामीणों द्वारा लगातार सूचित किये जाने और पूर्व से हीं स्थानीय विधायक द्वारा किये गये आगाह के बावजूद नहीं दुरूस्तकिया गया कटाव वाले इलाके को
  • जिले के नदियों का उद्गम स्थल झारखंड में लगातार बारिश की खबर के बावजूद कार्यपालक अभियंता ने अपने अधीनस्थों को एक भी बैग मिट्टी डालने पर लगा रखा था रोक

-: डॉ- कौशलेन्द्र :-

बिहारशरीफ (नालंदा)। नालंदा जिले का बाढ़ से पुराना रिश्ता रहा है। जिले का उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में बाढ़ आती रही है और लोगों को तबाह भी करती रही है। इस वर्ष भी जून-जुलाई और अगस्त महीने में जिले के कई क्षेत्रें में बाढ़ आया। इसके पूर्व के वर्षों में भी स्थिति लगभग कमोबेश ऐसी हीं रही। कुछ प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हुए। लेकिन अक्टूबर महीने में पिछले 10 वर्षों से बाढ़ नहीं आयी। जानकारों की मानें तो नदियों में अगर सुझाव के बाद बाढ़ नियंत्रण एवं जल निःस्सरण प्रबंधन बिहारशरीफ काम करा लिया होता या फिर लगातार हो रही बारिश के दौरान अलर्ट होती तो शायद आज बिहारशरीफ, रहुई, हरनौत, सरमेरा, बिंद, अस्थावां और कतरीसराय प्रखंड में इस तरह तबाही नहीं होती।

पिछले तीन-चार दिनों से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही थी। बंगाल की खाड़ी में आये चक्रवात को लेकर मौसम विभाग ने भी अलर्ट किया था और झारखंड से लगतार रिपोर्ट भी मिल रही थी कि वहां बारिश लगातार हो रही है। जिले के प्रायः नदियों का उद्गम स्थल झारखंड के हीं अलग-अलग जिले रहे है। ऐसे में झारखंड मे बारिश होने के बावजूद बिहारशरीफ बाढ़ नियंत्रण एवं जल निःस्सरण प्रमंडल सचेत तो नहीं हीं हुआ। लोगों के कहने के बावजूद विभागीय कार्यपालक अभियंता के कान पर जूं तक नहीं रेंगा।

बताया जाता है कि शुक्रवार तक कतरीसराय, अस्थावां और बिंद के कई इलाकों से लगातार फोन किया जाता रहा और बताया जाता रहा कि नदियों में अगर पानी आयी तो जहां-जहां पूर्व से कटाव है उसपर सुरक्षात्मक कार्य नहीं होगा तो पूरा इलाका जलमग्न हो जायेगा। बावजूद इसके बाढ़ नियंत्रण एवं जल निःस्सरण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता कपिलदेव कुमार अपने अधीनस्थ अभियंताओं एवं संवेदकों को यह कहते हुए कटाव पर कार्य करने से रोका कि अब बाढ़ का समय नहीं बचा है। ऐसे में एक भी बैग मिट्टी नहीं डाला जाना चाहिए।

लोगों की मानें तो अस्थावां विधायक डॉ. जितेंद्र कुमार ने पूर्व में भी कार्यपालक अभियंता को पत्र लिखकर यह बताया था कि कतरीसराय प्रखंड में सकरी नदी, अस्थावां एवं बिंद में जिराईन एवं कुम्हरी नदी के कई स्थानों पर कटाव है। यह कटाव पिछले दिनों नदियों में आयी भीषण पानी के कारण हुआ था, जिसे भरने का अनुरोध किया था बावजूद इसके कार्यपालक अभियंता ने सभी स्थानों पर कटाव होने के बावजूद एक भी बैग मिट्टी नहीं डाली।

यही सब वजह रही कि नदियों में पानी आयी और जहां-जहां तटबंध कमजोर था वहां दरारें आ गयी और पूरा इलाका हीं जलमग्न हो गया। सच तो यह है कि पहले से निरोधात्मक कार्य किया गया होता या फिर तीन दिन पूर्व से जब लगातार बारिश हो रही थी तब भी बाढ़ निरोधात्मक काम किया गया होता तो इतनी भीषण क्षति नहीं हुई होती।

सूत्रों की मानें तो शुक्रवार की रात खुल नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह जिराईन नदी में हुए कटाव को पाटने के लिए चार घंटे तक जियर गांव में कैंप किये, लेकिन लगातार बारिश और नदी का जलस्तर में तेज धार होने के कारण राहत बचाव कार्य रात तक शुरू नहीं हो सका। ग्रामीणों की मानें तो जीयर गांव के पास पहले से भीषण कटाव था, जहां बैग डाला जाता तो शायद तटबंध क्षतिग्रस्त नहीं होती।

जानकारों का यह भी कहना है कि जब आज अचानक मुख्यमंत्री का नालंदा का दौरा का कार्यक्रम तय हुआ तब जल संसाधन विभाग के राज्यस्तरीय अभियंताओं ने बिहारशरीफ बाढ़ नियंत्रण एवं जल निःस्सरण प्रमंडल को इसके लिए फटकार लगायी और जब जाकर आज सुबह से विभिन्न तटबंधों पर बोरा में मिट्टी डालकर तटबंध दुरुस्त करने का प्रयास शुरू किया गया। अगर यही प्रयास दो दिन पूर्व हुआ होता तो इस तरह की भीषण क्षति नहीं हुई होती।