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- मास्क में पहुंचे नन्हे-मुन्ने, कक्षा में बैठे छह फुट की दूरी पर
- प्राइवेट स्कूलों में उत्सवी माहौल में हुआ बच्चों का स्वागत
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(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य के तकरीबन एक लाख स्कूलों में 352 दिनों बाद सोमवार को पढ़ाई के लिए 1ली से 5वीं तक की कक्षाओं के ताले खुल गये। मास्क में स्कूल पहुंचे बच्चे अपने दोस्तों के साथ गर्मजोशी से मिले। स्कूलों के परिसर में बच्चों की सामूहिक एसेम्बली तो नहीं हुई। एसेम्बली हुई भी, तो कक्षाओं में कक्षावार। कक्षाओं में बच्चे छह फीट की दूरी बना कर बैठे। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का स्वागत उत्सवी माहौल में हुआ।
स्कूलों में 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ पढ़ाई शुरू हुई है। गाइडलाइन के तहत हर कक्षा में 50 फीसदी बच्चे बुलाये जाने हैं। इसके तहत हर कक्षा के 50 फीसदी बच्चे सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को बुलाये जाने हैं। बाकी 50 फीसदी बच्चे मंगलवार, गुरुवार एवं शनिवार को बुलाये जाने हैं। इसी व्यवस्था के तहत बच्चों को हर दिन स्कूल आना है। यानी हर बच्चे एक दिन बीच कर स्कूल आयेंगे।
सरकारी स्कूलों के 1ली से 5वीं कक्षा के सभी बच्चों को दो-दो मास्क ‘जीविका’ के माध्यम से दिये जाने हैं। सूबे में 1ली से 5वीं कक्षा की पढ़ाई वाले तकरीबन एक लाख स्कूलों में करीब 72 हजार सरकारी स्कूल हैं। इनमें 29 हजार स्कूलों में 1ली से 8वीं तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। इन स्कूलों में 6ठी से 8वीं कक्षा की पढ़ाई आठ फरवरी से चल रही है। बाकी 43 हजार स्कूल 1ली से 5वीं तक की पढ़ाई वाले हैं। 72 हजार स्कूलों में 1ली से 5वीं की बात करें, तो इन कक्षाओं में बच्चों की संख्या 1,06,19,670 है।
इससे इतर 1ली से 5वीं की पढ़ाई के लिए ऐसे प्रारंभिक विद्यालय भी हैं, जो सरकार द्वारा अनुदानित हैं। इनकी संख्या तकरीबन 108 है। इनमें अल्पसंख्यक प्रारंभिक विद्यालय भी शामिल हैं। इसके अलावा मदरसों एवं संस्कृत स्कूलों में भी 1ली से 5वीं कक्षा की पढ़ाई होती है। इसके साथ ही तकरीबन 10 हजार प्राइवेट स्कूल हैं, जो आरटीई के तहत रजिस्टर्ड हैं।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक स्कूलों के परिसर, भवन व कक्षाएं, फर्नीचर, उपकरण, स्टेशनरी, भंडारकक्ष, पानी टंकी, किचेन, वाशरूम, प्रयोगशाला एवं लाइब्रेरी की सफाई कर उसे विसंक्रमित किया गया है। डिजिटल थर्मोमीटर, सेनेटाइजर, साबुन की व्यवस्था की गयी है। शिक्षण संस्थानों द्वारा परिवहन व्यवस्था आरंभ किये जाने के पूर्व सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की गयी है।
ऐसी व्यवस्था की गयी है कि शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी भी छह फीट की दूरी पर बैठेें। यही व्यवस्था आगंतुकों के लिए भी की गयी है। छात्र-छात्राओं के आने-जाने के समय मुख्य द्वार पूरी तरह खुले रखे गये थे, ताकि एक स्थान पर भीड़ नहीं लगे। यही व्यवस्था हर दिन रहेगी।
उल्लेखनीय है कि कोरोना से बचाव को लेकर गत 13 मार्च को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिए तमाम शिक्षण संस्थान बंद करने का फैसला राज्य सरकार ने लिया। उसके अगले दिन से सभी शिक्षण संस्थान बंद हो गये। कोरोना से बचाव को लेकर 22 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर जनता कफ्र्यू लगा। और, उसके एक दिन बाद पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ। स्कूली छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं भी लॉकडाउन में फंस गयीं।
इसलिए कि सरकारी स्कूलों के 1ली से 8वीं कक्षा की परीक्षाएं मार्च के अंतिम हफ्ते में थीं। 9वीं एवं 11वीं कक्षा की परीक्षाएं भी नहीं हुईं थीं। चूंकि, अगले माह यानी अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होना था, इसलिए 1ली से 9वीं एवं 11वीं कक्षाओं के छात्र-छात्रा बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट कर दिये गये। अनलॉक फेज-वन शुरू हुआ, तो सरकारी प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में मिड डे मील के अनाज बंटने शुरू हुए। इसके लिए बच्चों के अभिभावक बुलाये गये।
अनलॉक के अगले चरण में स्कूलों में 5वीं एवं 8वीं कक्षा से प्रमोट हुए बच्चों के क्रमश: 6ठी एवं 9वीं कक्षा में दाखिले के लिए टी. सी. (स्थानान्तरण प्रमाण पत्र) बनने शुरू हुए। बाद में बच्चों का दाखिला भी शुरू हुआ। 11वीं कक्षा में भी बच्चों के दाखिले शुरू हुए। 28 सितंबर से स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षाओं के क्लासरूम के ताले प्रतिदिन 33 फीसदी छात्र-छात्राओं के लिए मागदर्शन कक्षा के नाम पर खुल गये।
उसके बाद चार जनवरी से हर कार्यदिवस को अधिकतम 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के साथ 9वीं से 12वीं कक्षा की पढ़ाई चल रही है। आठ फरवरी से हर कार्यदिवस को 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ 6ठी से 8वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए भी स्कूल खुल गये। बहरहाल, अब प्रति कार्यदिवस 50 फीसदी उपस्थिति के साथ ही 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों के लिए भी स्कूल खुल गये हैं।