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परमबीरकी याचिकापर सुनवाईसे सुप्रीम कोर्टका इनकार


नयी दिल्ली (आससे)। उच्चतम न्यायालय ने आज मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की ओर से महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दायर सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। परमबीर सिंह ने याचिका में देशमुख के खिलाफ निष्पक्ष व स्वतंत्र सीबीआई जांच की मांग की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि मामले में अनिल देशमुख को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया? पीठ ने यह भी पूछा है कि आप पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? सुप्रीम अदालत ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। शीर्ष अदालत ने परमबीर सिंह के वकील से पूछा कि आपने संबंधित विभाग को पक्ष क्यों नहीं बनाया है? आपने अनुच्छेद 32 के तहत क्यों याचिका दाखिल की है, 226 तहत क्यों नहीं की? इसके बाद परमबीर सिंह को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा गया। इस पर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली और कहा है कि वह बंबई उच्च न्यायालय जायेंगे। परमबीर के वकील ने कहा कि हम आज ही उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर देंगे। उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय को निर्देश दें कि वह इस मामले की सुनवाई कल करे। शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि परमबीर सिंह ने याचिका के जरिये अदालत से मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से उनके तबादले को मनमाना और गैरकानूनी होने का आरोप लगाते हुए इस आदेश को रद्द करने का भी अनुरोध भी किया था। सिंह ने एक अंतरिम राहत के तौर पर अपने तबादला आदेश पर रोक लगाने और राज्य सरकार, केंद्र तथा सीबीआई को देशमुख के आवास की सीसीटीवी फुटेज फौरन कब्जे में लेने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।मालूम हो कि कि परमबीर सिंह ने आरोप लगाया है कि अनिल देशमुख ने अपने आवास पर फरवरी 2021 में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनदेखी करते हुए अपराध खुफिया इकाई, मुंबई के सचिन वाजे और समाज सेवा शाखा, मुंबई के एसीपी संजय पाटिल सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की तथा उन्हें हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का लक्ष्य दिया था। साथ ही, विभिन्न प्रतिष्ठानों एवं अन्य स्रोतों से भी उगाही करने का निर्देश दिया था।

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हिरेन प्रकरण की जांच एनआईए को तत्काल सौंपे एटीएस-न्यायालय

मुंबई (हि.स.)। महाराष्ट्र के ठाणे जिला सत्र न्यायालय ने बुधवार को एंटीलिया केस से जुड़े मनसुख हिरेन की मौत के मामले की जांच आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को रोकने और इसे तत्काल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का आदेश दिया है। इस मामले में एनआईए ने न्यायालय में अपील की थी कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बावजूद एटीएस उसे मामले की जांच हैंडओवर नहीं कर रहा है। सत्र न्यायालय का यह निर्णय राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उद्योगपति मुकेश अंबानी के एंटीलिया बंगले के पास 25 फरवरी को संदिग्ध हालात में खड़ी एक स्कॉर्पियो कार मिली थी, जिसमें से जिलेटिन की 20 छड़ें बरामद की गई थीं। इस मामले की जांच एनआईए कर रही है और मुख्य आरोपित  के रूप में क्राइम ब्रांच में तैनात रहे पुलिस के निलंबित सहायक निरीक्षक सचिन वाझे को गिरफ्तार किया है। आगे की जांच में पता चला था कि स्कॉर्पियो कार के मालिक मनसुख हिरेन हैं। इसके कुछ ही दिनों के बाद मनसुख हिरेन का शव मुंब्रा स्थित रेतीबंदर खाड़ी के पास मिला था। इसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले की जांच एटीएस को सौंप दी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनसुख हिरेन मौत मामला भी एंटीलिया केस से जुड़े होने की वजह से इसकी जांच एनआईए को सौंप दी थी। एनआईए ने इस संबंध में महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को पत्र भी लिखा था, लेकिन एटीएस ने मामले की जांच एनआईए को नहीं सौंपी। राज्य के एटीएस प्रमुख जयजीत सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों वार्ता में कहा था कि वे 25 मार्च को एनआईए कोर्ट से सचिन वाझे के रिमांड की मांग करेंगे। इसके बाद ही एनआईए ने ठाणे जिला सत्र न्यायालय में मनसुख हिरेन मौत मामले की जांच संबंधी याचिका दायर की थी।