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पाकिस्तानी ड्रोन ने अरनिया सेक्टर से दो बार किया घुसपैठ का प्रयास, सर्च ऑपरेशन जारी


जम्मू, : पाकिस्तान ने समझौते के बाद भले सीमा पर अकारण गोलीबारी बंद रखी है परंतु जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए उसकी नापाक हरकतें अभी भी जारी हैं। कई बार चेतावनी देने के बाद भी पाकिस्तान वायु सीमा का उल्लंघन कर ड्रोन के जरिए हथियार व नशे की खेप इस ओर भेजने का प्रयास जारी रखे हुए है। आज सुबह पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिए दो बार घुसपैठ का प्रयास किया परंतु दोनों ही बार बीएसएफ के सतर्क जवानों ने फायरिंग कर उसे वापस जाने को मजबूर कर दिया। फिलहाल बीएसएफ की 98 बटालियन ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ है।

बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तानी ड्रोन ने सबसे पहले सुबह 4.15 पर अरनिया सेक्टर से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास किया। हमारे जवानों ने उसे देख लिया और फायरिंग शुरू कर दी। ड्रोन वापस लौट गया। उसके बाद 4.21 पर एक बार फिर ड्रोन को भारतीय सीमा में प्रवेश करते हुए देखा गया। जवानों ने उसे क्षतिग्रस्त करने के लिए फिर से फायरिंग की परंतु इस बार भी वे सुरक्षित वापस लौटने में सफल रहा। सूत्रों ने कहा कि ड्रोन की मदद से पाकिस्तानी सैनिक इस ओर हथियार या फिर नशे की खेप भेजने की फिराक में थे। हमारे जवानों ने करीब 18 राउंड फायरिंग की।

ड्रोन के लौटने के बाद बीएसएफ की 98 बटालियन के जवानों ने अरनिया सेक्टर में सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ है। जवानों को शक है कि हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिए हथियार या फिर नशे की खेप इस ओर फेंकी है। सर्च ऑपरेशन में बीएसएफ ने डॉग स्कवाड की भी मदद ली है।

आपको बता दें कि इससे पहले 24 फरवरी को सेना ने एक पाकिस्तानी ड्रोन को पीछे धकेलने के बाद हथियारों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया था। यह प्रसास भी भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित आरएसपुरा-अरनिया सेक्टर के बीच किया गया था। बीएसएफ जवानों ने उस दौरान भी ड्राेन को मार गिराने का प्रयास किया परंतु वह वापस लौट गया। इसके बाद बीएसएफ जवानों द्वारा चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान एक बहुत बड़ी हथियारों की खेप बरामद की गई जिसमें ग्रेनेड, आईईडी, पिस्तौल, गोला-बारूद के अलावा पहली बार तरल रूप में एक रसायन भी भेजा गया था। पुलिस सूत्रों का कहना था कि हथियारों की ये खेप आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा / टीआरएफ ने पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के इशारे पर जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों के लिए भेजी थी।