इस्लामाबाद, । पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम और इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बाबर इफ्तिखार ने पत्रकार अरशद शरीफ की हत्या के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने दी धमकी
एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, जनरल इफ्तिखार ने कहा, ‘5 अगस्त को खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने एआरवाई एंकरपर्सन अरशद शरीफ के संबंध में एक धमकी चेतावनी जारी की थी। हमारी जानकारी के अनुसार यह अलर्ट खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के विशेष निर्देश पर जारी किया गया था। इसने चेतावनी दी कि अफगानिस्तान स्थित टीटीपी ने स्पिनबोल्डक में एक बैठक की थी। वह रावलपिंडी या आसपास के इलाकों में अरशद शरीफ को निशाना बनाना चाहता था।’
संघीय सरकार के साथ नहीं साझा की गई जानकारी
संघीय सरकार या सुरक्षा संस्थानों के साथ कोई जानकारी साझा नहीं की गई थी कि किसने और कैसे केपी सरकार को यह जानकारी दी कि अरशद को निशाना बनाया जाएगा। यह दर्शाता है कि अलर्ट विशिष्ट मानसिकता के साथ जारी किया गया था जिसका उद्देश्य शायद अरशद शरीफ को देश छोड़ने के लिए मजबूर करना था।
देश छोड़कर नहीं जाना चाहते थे अरशद
समा टीवी ने जनरल इफ्तिखार के हवाले से कहा कि ऐसी खबरें हैं कि अरशद देश छोड़कर नहीं जाना चाहते थे, लेकिन बार-बार उन्हें बताया गया कि उनकी जान को खतरा है।’ वहीं, डीजी आईएसपीआर ने कहा कि ‘चूंकि अरशद एक खोजी पत्रकार थे, उन्होंने साइबर मुद्दे पर भी गौर किया।’
पत्रकार ने इमरान खान का लिया इंटरव्यू
जियो न्यूज ने बताया कि उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पत्रकार ने इस मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान का भी साक्षात्कार लिया था, उस समय यह दावा किया गया था कि उन्हें दस्तावेज दिखाया गया था। डीजी आईएसपीआर ने कहा, ‘साइफर और अरशद शरीफ की मौत से जुड़े तथ्यों का पता लगाने की जरूरत है। इसलिए इस संबंध में कोई अस्पष्टता नहीं बची है।’
मेरी नीति स्पष्ट है -जनरल अंजुम
प्रेस कान्फ्रेंस में जनरल अंजुम ने कहा, ‘मुझे पता है कि आप मुझे अपने बीच देखकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं। मेरे प्रचार और मेरी तस्वीरों के प्रकाशन पर मेरी नीति स्पष्ट है। मेरी स्थिति ऐसी है कि मुझे छाया में रहना पड़ता है, लेकिन आज का दिन थोड़ा अलग है। मैं अपने लिए नहीं बल्कि अपने विभाग और पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अधिकारियों के लिए आया हूं और विशेष रूप से मेरी एजेंसी के लिए, जो देश की पहली रक्षा पंक्ति के रूप में दुनिया के हर हिस्से में चौबीसों घंटे काम करती है।’