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पावर ग्रिड को शार्ट सर्किट से बचाएगी आइआइटी की तकनीक,


कानपुर, पावर ग्रिड सबस्टेशन से अक्सर बिजली वितरण में शार्ट सर्किट की समस्या से आपूर्ति में बाधा आती है। इसका निदान आइआइटी कानपुर निकाल लिया और एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे शार्ट सर्किट से बचा जा सकेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के विशेषज्ञों ने पावर ग्रिड को शार्ट सर्किट से बचाने के लिए स्मार्ट तकनीकी विकसित की है। यह तकनीकी स्वचालित रूप से करंट को समानांतर शंट में बदल देगी या फिर धारा प्रवाह में उच्च प्रतिरोध विकसित करके धारा की तरंगों को सीमित कर देगी। इसका प्रोटोटाइप जल्द ही बिजली कंपनियों में शामिल किया जा सकता है, फिलहाल इसकी लागत आठ करोड़ रुपये आंकी गई है।

अक्सर पावर ग्रिड जैसे बिजली वितरण नेटवर्क में शार्ट-सर्किट की स्थिति उत्पन्न होती है, क्योंकि इससे भारी करंट का प्रवाह होता है। शार्ट सर्किट से पावर ग्रिड को नुकसान होता है। न केवल बिजली की आपूर्ति में बाधा होती है, साथ ही बड़ा आर्थिक नुकसान भी होता है। आइआइटी के प्रो. सत्यजीत बनर्जी व उनकी टीम की ओर से विकसित नई तकनीकी में सुपरकंडक्टर का प्रयोग किया गया है। सुपरकंडक्टिंग फाल्ट करंट लिमिटर (एससीएफएल) में एक सर्किट होता है, जिसमें एक सुपरकंडक्टर के चारों ओर वितरित हाल सेंसर की सारणी होती है। यह तकनीक क्रिटिकल करंट तक की धाराओं को शून्य प्रतिरोध प्रदान करती है।