- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विनोबा भावे को उनकी जयंती पर नमन करते हुए कहा कि उन्होंने भारत आजाद होने के बाद महान गांधीवादी सिद्धांतों को आगे बढ़ाया. 1895 में जन्मे भावे ने अपना जीवन गांधीवादी मूल्यों के प्रचार के लिए समर्पित कर दिया. भावे विशेष रूप से ‘भूदान’ अभियान के लिए जाने जाते हैं क्योंकि उन्होंने देश भर के लोगों को अपनी भूमि का एक हिस्सा दान करने के लिए राजी किया था. भूमि के इस हिस्से को उन्होंने भूमिहीन गरीबों के बीच वितरित किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आजादी के बाद विनोबा भावे ने गांधीवादी सिद्धांतों को आगे बढ़ाया. उनके जन आंदोलनों का उद्देश्य गरीबों, दलितों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करना था. सामूहिक भावना पर उनका जोर हमेशा पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.’
इस कारण हुई थी विनोबा भावे की आलोचना
पीएम मोदी ने अपने ट्वीट मे लिखा, ‘महात्मा गांधी ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित किया जो छुआछूत के बिल्कुल खिलाफ थे, भारत की स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अडिग थे और अहिंसा के साथ-साथ रचनात्मक कार्यों में दृढ़ विश्वास रखते थे. वे उत्कृष्ट विचारक थे. आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर कोटि-कोटि नमन.’
अपनी सादगी, काम और बेहतर दृष्टिकोण के लिए सम्मान पाने वाले विनोबा भावे की टिप्पणियों को आपातकाल की अवधि के समर्थन में देखा गया था, जिसके बाद उनकी आलोचना भी हुई थी.
महाराष्ट्र के कोंकण इलाके के गागोदा गांव में 11 सिंतबर 1895 को एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे विनोबा भावे का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा. उन्हें आध्यात्म से प्रेम था. 15 नवंबर 1982 को उन्होंने अन्न जल त्याग कर समाधि ले ली थी.
महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी को नायडू ने किया नमन
प्रधानमंत्री के अलावा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू समेत कई नेताओं ने विनोबा भावे को नमन किया है. नायडू ने शनिवार को कहा कि आचार्य विनोबा ने महात्मा गांधी के मूल्यों को अपनाया, जिसमें सर्वोदय, त्याग और सेवा की भावना शामिल थी. यही नहीं आचार्य विनोबा भावे के भूदान और ग्रामदान आंदोलन ने ग्रामीण स्तर पर व्यापक सकारात्मक प्रभाव डाला.