सम्पादकीय

प्रकृतिका प्रकोप


कोरोना संकटकी तीसरी लहरके खतरेके बीच प्राकृतिक आपदाओंने लोगोंकी मुसीबत और बढ़ा दी है। एक ओर जहां भारतके कई राज्योंमें कोरोनाने तेजीसे पांव पसारना शुरू कर दिया है, वहीं भूस्खलन, बादल फटने और आसमानसे बरसती आफतकी वर्षा स्थितिको भयावह बना रही है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और लद्दाखमें मूसलाधार वर्षा और बादल फटनेसे आयी बाढऩे भारी तबाही मचायी है। इसमें २२ लोग अकाल कालके गालमें समा गये, वहीं अनेक लोग बह गये जिनमेंसे कुछको तो बचानेमें कामयाबी मिली लेकिन ४० से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं जिनकी खोजमें बचाव टीम जुटी हुई है। हिमाचल प्रदेशके लाहुल-स्पीति जिलेके तोजिंग नाले और कुल्लूके ब्रह्मï गंगा नालेमें बादल फटनेसे आयी बाढ़में १६ लोग बह गये जिसमेंसे दोको तो बचाव दलने बचा लिया लेकिन अन्यको बचानेमें सफलता नहीं मिल सकी। लाहुल स्पितिमें बादल फटनेसे लाहुल घाटीके कई नालोंमें बाढ़ आ गयी जिससे लेह और काजा मार्गपर सैकड़ों पर्यटक फंसे हुए हैं। मनाली, लेह, तांदी किलाड़ एवं ग्राफू समदों मार्ग जगह-जगह बंद हो गये है। किन्नोरमें भूस्खलनकी चपेटमें आनेसे नौ पर्यटकोंकी मृत्यु हो गयी। यह भूस्खलन जिस जगह हुआ वहां पहलेसे पहाड़ोंसे पत्थर गिरने लगे थे। इसी दौरान बड़ी चट्टïानके नीचे दबकर एक गाड़ी चकनाचूर हो गयी थी, हालांकि इसमें कारपर सवार लोगोंने गाड़ीसे कूदकर अपनी जान बचायी थी लेकिन प्रशासनने आवाजाही नहीं रोकी जिसके कारण नौ पर्यटकोंको अपनी जान गंवानी पड़ी। जुलाई महीनेके अंतमें मौसम अपना रौद्ररूप दिखा रहा है। भारतके कई राज्योंमें रेड और आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। महाराष्टï्र, दिल्ली सहित अनेक राज्योंमें भारी वर्षाकी चेतावनीने राज्य सरकारकी चुनौतियोंको और कड़ा कर दिया है, क्योंकि आगामी एक-दो दिनोंमें मौसमका हाल बेहाल कर देनेवाला हो सकता है। इसे प्रकृतिका कोप कहा जाना अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि दुनियाभरमें कई प्राकृतिक आपदाओं और मानवजनित कारणोंसे प्रकृतिको सबसे अधिक नुकसान होता है। इसके लिए सरकारके साथ जनताको भी प्रयास करने होंगे। हालांकि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और स्वराष्टï्रमंत्री अमित शाहने आपदापीडि़त राज्योंको हर संभव मदद पहुंचानेका भदोसा दिया है, लेकिन यह राज्य सरकारोंकी जिम्मेदारी है कि वह पीडि़तोंको आर्थिक सहायता तत्काल पहुंचाये।

असुरक्षित न्यायाधीश

झारखण्डके धनबादमें अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उत्तम आनन्दकी बुधवारको प्रात: टहलनेके दौरान पीछेसे आ रही एक आटोकी जोरदार टक्करसे हुई मृत्यु मात्र दुर्घटना नहीं है बल्कि सीसीटीवी फुटेजसे जो तथ्य मिले हैं वह सुनियोजित साजिशके तहत हत्याका मामला प्रतीत होता है। न्यायाधीश घटनास्थलपर ही लहूलुहान होकर गिर पड़े। बादमें शहीद निर्मल महतो चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालमें उनकी मृत्यु हो गयी। उत्तम आनन्द सड़कके किनारे जागिंग कर रहे थे तभी यह टक्कर मारी गयी। न्यायाधीश शहरके एक गैंगेस्टर सहित १५ से अधिक माफियाओंके मुकदमे देख रहे थे और उन्होंने कई गैंगस्टरकी जमानत याचिका ठुकरा दी थी। उनकी पत्नीने अज्ञात लोगोंके खिलाफ हत्याकी प्राथमिकी दर्ज करायी है। यह अत्यन्त ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। साथ ही यह न्यायाधीशोंकी सुरक्षा व्यवस्थापर भी सवाल खड़ा करता है। ऐसे न्यायाधीशकी विशेष रूपसे सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए थी, जो गैंगस्टर और माफियाओंके मुकदमे देख रहे थे। जब न्यायाधीश ही असुरक्षित हैं तो आम जनताकी सुरक्षाके बारेमें क्या सोचा जा सकता है। यह एक गम्भीर और असाधारण श्रेणीकी घटना है जिसकी गहन जांच की जरूरत है। न्यायाधीशको टक्कर मारनेवाले आटो चालक और उसके एक साथीको गिरिडीहसे गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय बार असोसिएशनके अध्यक्ष विकास सिंहने शुक्रवारको सर्वोच्च न्यायालयमें इस प्रकरणको रखते हुए सीबीआई जांच की मांग भी की है। वस्तुत: यह घटना न्यायपालिकापर हमला है जिसकी कड़े शब्दोंमें निन्दा करनेके साथ ही उन लोगोंको उजागर करनेकी आवश्यकता है, जो इसमें संलिप्त है। न्यायपालिका और न्यायिक अधिकारियोंकी सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है तभी निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायकी अपेक्षा की जा सकती है। देशमें जिस प्रकार अपराधियोंका दुस्साहस बढ़ रहा है वह न्यायपालिकाके लिए अशुभ है। इसलिए इस दिशामें न्यायपालिका और सरकारकी ओरसे कड़े कदम उठानेकी आवश्यकता है।