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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने लिखा ब्‍लाग; जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे की दोस्‍ती को ऐसे किया याद


नई दिल्‍ली, । जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की शुक्रवार को एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। इस घटना के बाद दुनियाभर में शोक की लहर दौड़ गई। भारत सरकार ने भी शिंजो आबे के सम्मान में एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। शनिवार को भारत में राष्‍ट्रीय शोक के रूप में सभी इमारतों पर तिरंगा आधा झुका रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने घटना पर शोक संवेदना जताई और शुक्रवार शाम को शिंजो आबे की याद में एक ब्‍लाग लिखा।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा- शिंजो आबे, जापान के एक उत्कृष्ट और वैश्विक नेता और भारत जापान मित्रता के महान चैंपियन अब हमारे बीच नहीं हैं। मैंने एक प्रिय मित्र और जापान के साथ समूची दुनिया ने एक महान दूरदर्शी राजनेता को खो दिया है। मैं उनसे पहली बार 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जापान की यात्रा के दौरान मिला था। उस पहली मुलाकात से ही, हमारी दोस्ती कार्यालयी और आधिकारिक प्रोटोकॉल की बेड़ियों को तोड़कर आगे निकल गई थी।

 

पीएम मोदी ने कहा- हमारी यादगार बातचीत की सूची वास्तव में लंबी है जिसमें क्योटो में तोजी मंदिर की हमारी यात्रा, शिंकानसेन में हमारी ट्रेन यात्रा, अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की यात्रा, काशी में गंगा आरती, टोक्यो में चाय समारोह जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। मैं माउंट फूजी की तलहटी के बीच बसे यमनाशी प्रान्त में उनके परिवार के घर में आमंत्रित होने के सम्मान को कभी नहीं भूलूंगा।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा- हमारी दोस्‍ती हमेशा की तरह मजबूत बना रही। श‍िंजो आबे के साथ हर मुलाकात बौद्धिक रूप से बेहद दिलचस्‍प होती थी। वह हमेशा नए विचारों को तरजीह देते थे। वह शासन, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, विदेश नीति और विभिन्न अन्य विषयों पर अमूल्य अंतर्दृष्टि से लबरेज थे। शिंजो आबे के समर्थन ने जापान के साथ गुजरात की जीवंत साझेदारी के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारत और जापान के बीच सामरिक साझेदारी में अभूतपूर्व बदलाव लाने के लिए शिंजो के साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को नए मुकाम तक पहुंचाने में शिंजो आबे ने मदद की। यह दोनों देशों और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। वह भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। भारत में हाई स्पीड रेल के लिए शिंजो आबे की उदार शर्तों की पेशकश ने बेहद निर्णायक भूमिकाएं निभाई।