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बांग्ला के मशहूर कवि शंख घोष नहीं रहे, पिछले हफ्ते कोरोना से हुए थे संक्रमित


मशहूर बांग्ला कवि शंख घोष निधन हो गया है। वे 89 साल के थे। पिछले हफ्ते उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। डॉक्टरों ने उन्हें तब घर में क्वारंटीन में रहने की सलाह दी थी। उनका बुखार भी कुछ कम हुआ था लेकिन काफी कमजोरी आ गई थी।

घोष पहले से भी कई बीमारियों से पीड़ित थे और कुछ महीने पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। घोष को पद्म भूषण सम्मान के अलावा रवीन्द्र पुरस्कार, ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी पुरस्कार आदि से भी सम्मानित किया जा चुका है।

शंख घोष का जन्म 6 फरवरी 1932 को चांदीपुर में हुआ था। ये जगह अब बांग्लादेश में है। बांग्ला भाषा और साहित्य में कोलकाता के प्रोसिडेंसी कॉलेज से उन्होंने बीए किया और फिर कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ही मास्टर डिग्री भी हासिल की।

बाद के वर्षों में उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी सहित देश के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। वे जाधवपुर यूनिवर्सिटी से 1992 में रिटायर हुए। इस दौरान उन्हें 1968 में उन्हें उनकी किताब बाबरेर प्रार्थना (बाबर की प्रार्थना) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।