पटना

बिहारशरीफ: गंगाजल उद्धव योजना समय से नहीं हो सकेगी पूरी


      • अब सितंबर 2021 के बजाय 2022 में ही पाइपलाइन के जरिये घोड़ाकटोरा पहुंचेगा गंगाजल
      • जमीन अधिग्रहण, एनएचएआई की आपत्ति के साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होना योजना के विलंब का बना कारण
      • उद्गम स्थल मोकामा के मरांची में मोटर लेइंग तथा घोटाकटोरा रिजर्वायर का निर्माण कार्य जोरों पर

बिहारशरीफ (आससे)। कोविड, लॉकडाउन और यास तूफान जैसी कई रूकावटें गंगा उद्धव योजना के कार्यान्वयन में विलंब का कारण बना। स्थिति यह हुई कि अब 2021 में गंगा जल नालंदा नहीं पहुंच पायेगी। इसके लिए लोगों को अगले साल 2022 का इंतजार करना होगा। हालांकि पहले फेज में नालंदा के राजगीर में 2021 में गंगाजल पेयजल के लिए आपूर्ति करने की योजना थी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह महत्वाकांक्षी योजना है। उन्होंने राजगीर, गया, बोधगया जैसे अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थलों के साथ हीं नवादा जिले में पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए लोगों के घरों में गंगाजल आपूर्ति करने की सोच रखी थी। मुख्यमंत्री ने कई बार इस योजना की समीक्षा की थी। एलाइनमेंट चेंज हुआ और अंततः बात बनी कि सितंबर 2021 तक गंगाजल नालंदा जिले के घोड़ाकटोरा डैम में पहुंच जायेगी। जहां से शुद्धिकरण के बाद गंगाजल को पेयजल के रूप में पहले चरण में राजगीर के घरों में आपूर्ति की जायेगी।

लेकिन पहले कोविड, फिर लॉकडाउन और इस बीच ऑक्सीजन की क्राइसिस को लेकर इस प्रोजेक्ट के लिए बिछ रही पाइपलाइन हेतु पाइप निर्माण एवं पाइपलाइन ज्वाइंटिंग के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गयी। लगभग दो महीने तक पाइप का निर्माण और ज्वाइंटिंग का काम बंद करना पड़ा। इस बीच लॉकडाउन भी परेशानी का कारण बना।

रहुई के विभिन्न इलाकों में रैयती जमीन से पाइपलाइन लाने के क्रम में किसानों का विरोध और फिर बाद में एनएच 20 के फोरलेनिंग को लेकर एनएचएआई द्वारा अपने हिस्से में पाइप लाइन बिछाने के काम को रोका जाना इस योजना के विलंब का कारण बना। हालांकि इन सब के बावजूद पाइप लेइंग का एलाइनमेंट चेंज हुआ और पाइपलाइन लेइंग शुरू हुआ, लेकिन पूरे देश में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर इस प्रोजेक्ट के लिए भी ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित की गयी।

अभी तक लगभग 68 किलोमीटर पाइपलाइन बिछ चुका है। जबकि 90 किलोमीटर पाइपलाइन बिछने के बाद गंगाजल मोकामा से घोड़ाकटोरा पहुंचेगी। भूमि विवाद एवं अन्य कारणों से लगभग 12 किलोमीटर पाइपलाइन बिछने का काम रूका हुआ है। रहुई के एसएच 78 से बिहारशरीफ नई बाइपास तथा सरमेरा टाल क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण नहीं होने की वजह से काम को रोकना पड़ा है। हालांकि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज की गयी है।

15 जून से जिले में बरसात होने वाली है। मौसम विभाग का फोरकास्ट भी कहता है कि मॉनसून समय से आयेगी, जिसके बाद मिट्टी का काम बंद हो जायेगा। जिस क्षेत्र से पाइपलाइन गुजरती है उन क्षेत्रें में पानी जमा होता है। ऐसे में पाइप लेइंग का काम एक सप्ताह बाद स्वतः बंद हो जायेगा।

बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट का लगभग आधा काम पूरा हो चुका है। घोड़ा कटोरा में रिजर्वायर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है जबकि मोकामा के पास हथिदह में पंप निर्माण का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। घोड़ाकटोरा में 20 फीट ऊंचा वाटर डिटेंशन टैंक का निर्माण चल रहा है। जबकि हथिदह के मरांची के पास गंगा नदी में मोटर लगाने का काम भी लगभग पूरा हो गया है। हथिदह में 3247 एचपी का मोटर चलाया जाना है और वहां से 2-4 मीटर रेडियस वाले पाइपलाइन के जरिये गंगाजल घोड़ाकटोरा डैम में संग्रहित होगा जहां से शुद्धिकरण के पश्चात इसकी आपूर्ति राजगीर में की जाायेगी और फिर पाइपलाइन से गया और बोधगया तक पानी पहुंचाया जायेगा। इस प्रोजेक्ट के घोड़ाकटोरा, गया संभाग में भी पाइप लेइंग का काम तेजी से चल रहा है।