पटना

बिहारशरीफ: नवनियोजित शिक्षकों के चिकित्सा प्रमाण पत्र बनाने में राशि वसूली का वीडियो वायरल


      • डीएम ने एसडीओ और एसडीपीओ की टीम बनायी जिसने मामले की जांच की
      • 200 से 250 रुपया वसूला जाता है प्रमाण पत्र बनाने में जिसका शेयर सिविल सर्जन तक है तय

बिहारशरीफ। बिहारशरीफ सदर अस्पताल में नवनियोजित शिक्षकों के चिकित्सा प्रमाण पत्र बनाने में कर्मियों द्वारा पैसा मांगने का वीडियो वायरल होते ही डीएम ने एक जांच कमेटी बनाई, जिसमें बिहारशरीफ एसडीओ कुमार अनुराग तथा एसडीपीओ डॉ॰ शिवली नोमानी शामिल है। यह दल शुक्रवार को सदर अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच शुरू की।

प्राप्त जानकारी के अनुसार एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कर्मी चिकित्सा प्रमाण पत्र के बदले में 250 रुपये की मांग कर रहे थे। इसी मामले में डीएम ने जांच कमेटी बनाते हुए 24 घंटे में रिपोर्ट तलब किया है। भले हीं इस बार प्रशासन इसकी जांच करा रही हो लेकिन सच तो यह है कि सदर अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का नजराना तय है। प्रति अभ्यर्थी 200 से 250 रुपया तक ली जाती है। जांच दल ने वीडियो वायरल होने के बाद उस व्यक्ति से गहन पूछताछ की जो राशि की वसूली करता है। हालांकि जांच में सच्चाई क्या पता चली यह तो रिपोर्ट आने के बाद हीं पता चलेगा।

लेकिन सूत्रों की मानें तो मेडिकल रिपोर्ट बनाने में कर्मी से लेकर सीएस तक का नजराना तय है। बताया जाता है कि 200 रुपया प्रति सर्टिफिकेट नजराना की राशि तय की गयी है और इसका 60 फीसदी हिस्सा यानी कि 120 रुपया का शेयर सिविल सर्जन का होता है। बाकी 40 फीसदी यानी 80 रुपया में बाकी लोग शामिल है। यह अलग बात है कि अभी भीड़-भाड़ बढ़ने के साथ हीं कर्मियों ने नजराने की फीस 200 से बढ़ाकर 250 रुपया कर दिया है। हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने ऐसे आरोपों को निराधार बताया और कहा कि कुछ कर्मियों की संलिप्तता सामने आयी है, जिसपर कार्रवाई होगी।