पटना

बिहारशरीफ: सदर अस्पताल का आठ वेंटिलेटर साल भर बाद भी नहीं शुरू हो सका


      • विम्स पावापुरीमें  में 40 वेंटिलेटर तो निजी अस्पतालों में भी 32 वेंटिलेटर है कार्यरत 
      • जिला में नहीं है ऑक्सीजन की किल्लत, मांग के अनुसार मिल रहा रोजाना 480 सिलेंडर

बिहारशरीफ (आससे)। कोविड  के बढ़ते मामले के बाबजूद जिला में संसाधन रहते इसका सदुपयोग नहीं किया जा रहा है।  सरकारी अस्पतालों में लाइफस्पोर्ट  सिस्टम के रहते लोग इसके आभाव में मर रहे है। हालत यह है की सब उपलब्धता के बाबजूद जिले के  पावापुरी वर्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान (विम्स) में 40 वेंटिलेटर मौजूद हैं। जीवन ज्योति समेत अन्य कई निजी अस्पतालों में भी 32 वेंटिलेटर लगे हुए हैं। इनमें से सदर अस्पताल के वेंटिलेटर को छोड़कर अन्य सभी मशीन काम कर रहे हैं।

विडंबना यह है की सदर हॉस्पिटल में लगा वेंटिलेटर सिर्फ और सिर्फ शोभा की बस्तु बनी है। यहाँ गत  वर्ष ही कोविड  को देखते हुए 10  वेंटिलेटर मुहैया कराया गया था। इसमें पांच बच्चो और पांच बड़ो के लिए था। लेकिन इसका फिटिंग नहीं हुआ जिसके बाद बच्चो का पांच वेंटिलेटर मुजफ्फरपुर भेज दिया गया। अभी भी सात वेंटिलेटर है, लेकिन साल भर बाद तक इसका पाइप बैरिंग नहीं हो सका। काश ये हो गया होता तो शायद कई लोगो को इसका लाभ मिला होता। यह हाल है सीएम के गृह जिला के अस्पताल का।

जिला में फिलहाल ऑक्सीजन की कमी नहीं है। मांग के अनुसार यहां रोजाना 480 से अधिक सिलेंडरों की आपूर्ति की जा रही है। जबकि, दर्जनों सिलेंडर पटना, शेखपुरा व नवादा को भी भेजी जा रही है। अकेले विम्स में रोजाना 60 बड़े सिलेंडरों से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। सदर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में 260 सिलेंडर उपलब्ध हैं। हेल्थ मैनेजर हेमंत कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में 42 बड़ा व 108 छोटा सिलेंडर है। इनमें गैस भी भरी हुई है। हाल के दिनों में ऑक्सीजन की मांग लगभग तीन गुणी बढ़ी है।

विम्स के अस्पताल प्रबंधक रवि रंजन ने बताया कि पूरे अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई के सेंटर लाइन लगी हुई है। वेंटिलेटर कक्ष भी पूरी तरह तैयार है। कुछ दिनों पहले तक रोजाना यहां 15 से 20 बड़े सिलेंडरों की खपत थी। जो, मौजूदा समय में बढ़कर लगभग 220 हो चुकी है।

क्या है वेंटिलेटर:

शरीर में ऑक्सीजन सपोर्ट देने के बाद भी अगर सेचुरेशन (रेसपायरेटरी लेवल-श्वसन स्तर) नहीं आ रहा हो। रोगी को सांस लेने में परेशानी हो रही हो। तो वेंटिलेटर के माध्यम से कृत्रिम तरीके से फेंफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है। जेनलरल फीजिसियन डॉ. मिथलेश प्रसाद ने बताया कि वेंटिलेटर लगाने का कोई विशेष मापदंड नहीं है। यह रोगी-रोगी पर निर्भर करता है। उसके क्रिटिकल कंडिशन को देखते हुए डॉक्टर की देखरेख में ही इसे लगाना चाहिए।