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- सितंबर 2021 तक होना है चालू लेकिन अभी नहीं बन सका है रिजर्वायर और नहीं हो सका है पाइप लेइंग का कार्य पूरा
- यास तूफान ने भी पाइप लाइन लेइंग पर लगाया ब्रेक इसके पूर्व लॉकडाउन तो कभी किसानों ने भी लगायी है ब्रेक
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बिहारशरीफ (आससे)। पहले कोरोना और लॉकडाउन और अब यास तूफान ने गंगाजल उद्धव योजना के निर्माण पर ब्रेक लगाया है। अभी के परिदृश्य में यह स्पष्ट दिख रहा है कि निर्धारित समय पर यह महत्वाकांक्षी योजना शुरू नहीं हो पायेगी।
लगभग 3600 करोड़ की लागत से गंगाजल उद्धव योजना पर काम चल रहा है। उद्देश्य है कि गंगाजल को नालंदा में स्टोर कर राजगीर, नवादा, गया और बोधगया में लोगों को पेयजल के रूप में मुहैया कराया जाय। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को वर्ष 2021 तक पहला फेज पूरा करने की तिथि तय करवाई थी। उद्देश्य था कि सितंबर माह में योजना के पहले फेज को पूरा कर लिया जाय। पहले फेज में अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थलीय राजगीर को पेयजल मुहैया कराना था। फिर अगले चरण में गया और नवादा को गंगाजल मुहैया कराना था।
गिरियक के घोड़ाकटोरा में 372 एकड़ क्षेत्र में रिर्जवायर बनाया जा रहा है। जून 2021 तक इस रिजर्वायर के साथ-साथ गंगा पाइपलाइन को पूरा कर लेना था। 190.90 किमी लंबे इस गंगा पाइपजल योजना का निर्माण कार्य अभी चल रहा था। लेकिन पहले लॉकडाउन के कारण हल्का प्रभावित हुआ और बाद में यास तूफान को लेकर कार्य बिल्कुल ठप हो चुका है।
गंगाजल उद्धव योजना के लिए गंगाजल का उठाव मोकामा से आगे हाथिदह के पास से होना था। वहां से मोटर से जल लिफ्टिंग कर पाइपालन के जरिये घोड़ाकटोरा रिजर्वायर में इसे एकत्रित करना था। सरकार की योजना थी कि जब गंगा नदी उफान तब यानी जुलाई से अक्टूबर तक के चार महीने में लिफ्टिंग कर गंगाजल को रिजर्वायर में भरा जाना है। इसी वर्ष गंगाजल की लिफ्टिंग और स्टोरेज के साथ-साथ पहले फेज की आपूर्ति की प्रक्रिया पूरी करनी थी। कार्य भी रफ़्तार से चल रहा था लेकिन पहला ब्रेक तब लगा जब एनएच 20 के फोरलेनिंग को लेकर गंगाजल उद्धव योजना के लिए लेइंग किया गया पाइप उखाड़ना पड़ा।
मोकामा से पहले एनएच और फिर एसएच 78 के किनारे रहुई के रास्ते गंगाजल पाइपलाइन देवधा के पास एनएच 20 में मिला था और एनएच 20 के किनारे से ही इसे घोड़ाकटोरा यानी गिरियक तक आना था, लेकिन फोरलेनिंग हो रहे इस सड़क में पाइपलाइन का आना एनएचएआई को टेक्निकल दृष्टिकोण से उचित नहीं लगा। विभाग ने आपत्ति जतायी कि फोरलेनिंग को लेकर भारी यंत्रों के परिचालन से पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो सकती है। अंततः जल संसाधन विभाग को मार्ग परिवर्तन करना पड़ा और फिर इस पाइपलाइन को खेतों से होकर पंचाने नदी क्रॉस कर दीपनगर-गिरियक रोड के किनारे शिफ्ट किया गया। सड़क के किनारे बने जल संसाधन विभाग के नहर के तटबंध से इस पाइपलाइन का लेइंस शुरू हुआ।
काम भी रफ़्तार पकड़ा था लेकिन चक्रवात की बारिश में काम पर ब्रेक लगा दिया। अगर चक्रवात थमता भी है तो अगले कई दिनों तक इसमें निर्माण कार्य होना आसान नहीं होगा। इसके अलावे एसएच 78 से खेतों के रास्ते इस पाइपलाइन को बिहारशरीफ के निर्माणाधीन उत्तरी बाइपास तक आना है और इस बीच कई स्थानों पर किसानों ने यह कहकर काम को रोका कि उनके खेत से गुजर रहा है पाइपलाइन इसलिए मुआवजा दिया जाय। यह कारण भी रहा कि निर्माण कार्य बाधित हुआ।
बिहार में सामान्यतः 15 जून तक मॉनसून प्रवेश कर जाता है और ऐसे में 15 जून के बाद निश्चित तौर पर काम होना संभव नहीं है। बरसात को पानी को लेकर पाइप लेइंग नहीं हो सकेगा। कारण यह है कि जलजमाव वाला क्षेत्र है। ऐसे में शायद अब दोबारा काम नवंबर-दिसंबर से ही शुरू हो पायेगा। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि गंगाजल उद्धव योजना समय से शुरू नहीं हो सकेगा और इसकी एक वजह यास तूफान भी होगा।