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बिहार नाव हादसा: बागमती नदी से तीन लोगों के शव बरामद, तलाश जारी


मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में गायघाट प्रखंड के बेनीबाद ओपी क्षेत्र में गुरुवार को बागमती नदी में नाव पलटने से उस पर सवार करीब 35 व्यक्ति डूब गए। 20 लोगों को बचा लिया गया। 13 लापता थे।

इनमें अधिकतर स्कूली छात्र-छात्राएं हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक, लापता हुए 13 लोगों की शुक्रवार को भी तलाश जारी रही। इस दौरान तीन शव बरामद कर लिए गए हैं।

पुलिस ने भी इसकी पुष्टि की है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, लापता हुए 13 लोगों में से 4 वर्षीय अजमत 20 वर्षीय पिंटू सहनी  और 40 वर्षीय शमसूल का शव अभी तक पानी से बाहर निकाला गया है।

अनुमंडल पदाधिकारी के हवाले से 12 शव निकाले जाने की सूचना

हालांकि, समाचार एजेंसी एएनाआई ने गायघाट के अनुमंडल पदाधिकारी राघवेंद्र नागवाल के हवाले से सूचना दी है कि लापता लोगों की तलाश करने के क्रम में 12 शव पानी से बाहर निकाले गए हैं।

नागवाल ने एएनआई को बताया है कि मृतकों की पहचान कामिनी कुमारी, सुष्मिता कुमारी, बेबी कुमारी, साजदा बानो, गनिता देवी, अजमत, रितेश कुमार, शिवजी चौपाल, समशुल, वसीम, मिंटू और पिंटू के रूप में की गई है।

मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी ने इस हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं, पीड़ित परिवारों को सरकार मदद मुहैयार कराने के लिए भी कहा है।

देर शाम तक होती रही तलाश

बता दें कि गुरुवार को देर शाम तक गोताखोर और एनडीआरएफ की टीम इन लापता लोगों को खोजने में लगी रही, मगर किसी का पता नहीं चल सका। अंधेरा होने के चलते अभियान बंद कर दिया गया। इसके बाद शुक्रवार सुबह से लापता लोगों की तलाश शुरू की गई।

घटना के बाद इलाके में कोहराम मच गया है। हादसे के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिले में एसकेएमसीएच का निरीक्षण कर रहे थे।

जानकारी मिलने पर उन्होंने डीएम प्रणव कुमार को तुरंत घटनास्थल पर जाकर बचाव कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया। इसके बाद डीएम समेत अन्य पदाधिकारी मौके पर पहुंचे।

ग्रामीणों ने अपने पैसों से बनवाई थी नाव

बताया जाता है कि नाव ग्रामीणों के सहयोग से डेढ़ लाख रुपये खर्च कर बनवाई गई थी। इस कारण स्थानीय ग्रामीणों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता था।

नाविक को गांव वाले सालाना अनाज व नाव मरम्मत कराने के लिए सहयोग राशि देते थे। जिस समय हादसा हुआ, उस समय नाविक राजू सहनी नाव चला रहा था। नाव की क्षमता 15-20 लोगों की बताई जा रही है।

नाव मधुरपट्टी गांव से भटगामा जा रही थी। उस स्थान पर करीब 60 फीट चौड़ी नदी पार करने के लिए इस नाव को बिना पतवार के दोनों किनारे बंधे छह एमएम मोटे तार के सहारे चलाया जा रहा था।

भटगामा की ओर नाव लगभग किनारे लग गई थी, मगर घाट में बनी सीढ़ी से टकरा गई। इससे तार से लगे रिंग में बंधी रस्सी टूट गई।

 

रस्सी टूटते ही मची अफरा-तफरी

इसी रस्सी से नाव को जोड़ा गया था। रस्सी के टूटने से नाव का संतुलन बिगड़ गया। सवार लोगों में अफरा-तफरी मच गई।

बचने के लिए कई लोग किनारे कूदने लगे। इससे नाव पलट गई। किनारे पर भी पानी की गहराई अधिक व भंवर वाली तेज धारा होने से लोग डूबने लगे।

कई लोग खुद तैरकर बाहर निकले। कई को नाविक एवं स्थानीय लोगों की मदद से निकाला गया। करीब 20 लोगों को निकाला गया। इनमें सात स्कूली छात्र भी शामिल हैं।

सभी को गायघाट पीएचसी में भर्ती कराया गया है। कई स्कूली छात्रों को नहीं निकाला जा सका। डूबने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं।

लोगों को बचाने वाले एक युवक भटगामा गांव का पिंटू कुमार के भी डूब जाने की सूचना है। देर शाम लापता लोगों की तलाश करने वाले एसडीआरएफ के एक गोताखोर हिमांशु कुमार नदी में फंस गए। उन्हें किसी तरह बाहर निकाला गया।

नदी के उस पार उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं राशन की दुकान

बागमती नदी के दो किनारे पर मधुरपट्टी एवं भटगामा गांव है। मधुरपट्टी से लोग रोज नाव से ही भटगामा आना-जाना करते हैं।

यह इसलिए क्योंकि भटगामा में ही उच्चतर माध्यमिक स्कूल और जन वितरण प्रणाली की दुकान है। सुबह करीब 11 बजे नाव से लोग राशन लेने और स्कूली छात्र-छात्राएं मैट्रिक का फार्म भरने जा रहे थे।

बागमती की धारा में अभी तेज बहाव है। इसके बावजूद नाव को बिना पतवार के खेया जा रहा था। बताया जा रहा कि यहां इसी तरह नावों का परिचालन काफी दिनों से हो रहा है। दोनों गांव के लोग इसी नाव पर आते-जाते हैं, मगर जिम्मेदार ने ध्यान नहीं दिया और हादसा हो गया।

हादसे के बाद मची चीख पुकार

जिस नाव पर बेनीबाद ओपी के मधुरपट्टी गांव के लोगों की जिंदगानी चलती है उसने गुरुवार को बड़ा दर्द दे दिया। भटगामा घाट में नाव के पलटने से एक दर्जन परिवार की आंखें दिनभर अपनों की तलाश में रही, मगर शाम के बाद निराशा हाथ लगी। लापता 13 में से एक का भी पता नहीं चला।

मधुरपट्टी गांव के पिंटू सहनी ने बताया कि घटना के बाद जिसे तैरने आता था सभी लोग नदी मे कूद पड़े। हादसे के बाद चारों तरफ चीख-पुकार मच गई।

लापता लोगों के स्वजन शाम तक नदी के किनारे बैठकर विलाप करते रहे। नाविक राजू सहनी ने बताया कि नाव पलटने के बाद तेज धारा मे लोग बहने लगे।

ग्रामीणों ने डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को बचा लिया। वहीं 12 से 13 लोग लापता हैं। बताया जा रहा कि चार साल के अजमत की मां नाव से कूदकर जान बचा ली।

अजमत का कोई पता नहीं चला है। स्थानीय बिकाउ यादव व प्रमोद यादव ने बताया कि दशकों से इसी तरह नाव का संचालन किया जा रहा है।

ग्रामीणो द्वारा पुल निर्माण की मांग को गंभीरता से नहीं लिया गया। जिला पार्षद प्रतिनिधि जितेंद्र यादव के मुताबिक इस घटना से पूर्व दो दशक पहले पांच लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी मधुरपट्टी गांव कई तरह की सुविधाओं से वंचित है।

नाव का परमिट हरिकिशोर सहनी के नाम से, चला रहा था राजू

बेनीबाद ओपी के भटगामा में हुआ नाव हादसा महज संयोग नहीं, यह लापरवाही का परिणाम था। एक तो नाव की क्षमता से अधिक सवारी, दूसरे जिस नाविक के नाम से परमिट था उसकी जगह इसे दूसरा चला रहा था। ग्रामीणों के अनुसार छोटी नाव पर 30 से 35 लोगों को लेकर नदी पार करना जोखिम भरा कार्य है।

तार रस्सी के सहारे नाव से आवागमन काफी मुश्किल है। बावजूद दशकों से इस तरह नाव का संचालन किया जा रहा है। एक बात यह भी है कि नाव का परमिट दूसरे नाम से निर्गत है।

घटना के वक्त नाव चलाने वाले राजू सहनी ने बताया कि आधा दर्जन लोगों को उसने बचाया। अंचलाधिकारी राघवेन्द्र कुमार राघवन ने बताया कि नाव का परमिट हरिकिशोर सहनी पिता फगूनी सहनी के नाम पर निर्गत है।