पटना

बिहार बोर्ड मैट्रिक का रिजल्ट 31 तक


नया इतिहास रचने की तैयारी में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में बिहार बोर्ड (बिहार विद्यालय परीक्षा समिति) की मैट्रिक की परीक्षा में शामिल 16 लाख 48 हजार छात्र-छात्राओं का रिजल्ट मासांत तक आने की प्रबल संभावना है। इंटरमीडिएट की तरह ही देश भर के परीक्षा बोर्डों में मैट्रिक का रिजल्ट सबसे पहले देने वाला बिहार बोर्ड पहला होगा। मासांत तक मैट्रिक का रिजल्ट देकर बिहार बोर्ड इस मायने में भी नया इतिहास रचने वाला है कि मैट्रिक का परीक्षाफल मार्च में पहली बार आयेगा।

कोरोना से बचाव को लेकर जारी प्रोटोकॉल के तहत राज्य भर में 1,525 परीक्षा केंद्रों पर बिहार बोर्ड की मैट्रिक की परीक्षा 17 फरवरी से दो पालियों में शुरू होकर 24 फरवरी तक चली। इसमें बैठने के लिए 16,48,894 परीक्षार्थियों ने फॉर्म भरे थे। इनमें 8,42,189 छात्र एवं 8,06,705 छात्राएं थीं। मैट्रिक की परीक्षा में पहली पाली की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले परीक्षार्थी पूरी परीक्षा में पहली पाली की ही परीक्षा में शामिल होते हैं। इसी प्रकार दूसरी पाली की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले परीक्षार्थी पूरी परीक्षा में दूसरी  पाली की ही परीक्षा में शामिल होते हैं।

इस बार 8,27,288 परीक्षार्थी पहली पाली के थे, जिनमें 4,23,081 छात्र एवं 4,04,207 छात्राएं थीं। बाकी 8,21,606 परीक्षार्थी दूसरी पाली के थे, जिनमें 4,19,108 छात्र एवं 4,02,498 छात्राएं थीं। परीक्षा में सख्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर परीक्षा केंद्र पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस के सशस्त्र जवान तैनात किये गये थे। सब जोनल एवं जोनल स्तर पर भी मजिस्ट्रेट की तैनाती थी। प्रत्येक परीक्षा केंद्र के दो सौ मीटर की परिधि में परीक्षा संचालन की अवधि में धारा-144 लागू रही। परीक्षा केंद्रों के बाहर एवं अन्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे की नजर रही। हर 500 परीक्षार्थी पर एक विडियोग्राफर की तैनाती रही। हर परीक्षा केंद्र पर सम्पूर्ण परीक्षा संचालन प्रक्रिया की विडियो रिकार्डिंग हुई।

शिक्षा विभाग द्वारा हर जिले में तैनात नोडल अफसर द्वारा जिला स्तर पर परीक्षा संचालन की मॉनीटरिंग की व्यवस्था की गयी। परीक्षा संचालन की गहन मॉनीटरिंग के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा भी कंट्रोल रूम बनाया गया था। परीक्षार्थियों के लिए कैलकुलेटर, मोबाइल फोन, ब्लूटूथ, इयर फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स प्रतिबंधित थे। वीक्षकों एवं कर्मियों के मोबाइल फोन पर भी बैन थे। 25 परीक्षार्थी पर एक वीक्षक तैनाती की व्यवस्था थी।

परीक्षार्थियों की तलाशी के बाद सभी वीक्षक इस आशय का घोषणा पत्र लिये गये कि किसी भी परीक्षार्थी के पास आपत्तिजनक सामग्री नहीं पायी गयी। हर जिले में छात्राओं के लिए चार मॉडल परीक्षा केंद्र बनाये गये, जहां दंडाधिकारी, वीक्षक सहित सभी सुरक्षाकर्मी भी महिलाएं थीं। विद्यार्थियों के हित में सभी विषयों में 100 प्रतिशत अतिरिक्त प्रश्नों के विकल्प देने की व्यवस्था की गयी। इसके तहत ऑब्जेक्टिव एवं सब्जेक्टिव दोनों तरह के प्रश्नों में जितने प्रश्नों के हल करने थे, उससे दोगुने संख्या में प्रश्न दिये गये। प्रत्येक पाली में 15 मिनट का आरंभिक समय परीक्षार्थियों को प्रश्नों को पढऩे व समझने के लिए दिये गये।

परीक्षा के साथ-साथ कॉपियों की बारकोडिंग चलती रही। पांच मार्च से कॉपियों की जांच शुरू हुई। आपको बता दूं कि बिहार बोर्ड (बिहार विद्यालय परीक्षा समिति) के अध्यक्ष आनन्द किशोर द्वारा आधुनिक तकनीक के माध्यम से परीक्षा प्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव किया गया है। नये सॉफ्टवेयर के माध्यम से रिजल्ट प्रोसेसिंग की गति पिछले सॉफ्टवेयर की तुलना में 16 गुणा अधिक है। यह सॉफ्टवेयर भी देश में पहली बार बिहार बोर्ड द्वारा 2020 में तैयार कराया गया था। यही वजह है कि इंटरमीडिएट की तरह ही मैट्रिक का रिजल्ट भी बिहार बोर्ड का फास्टेट रिजल्ट होगा।