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- तकनीकी सेवा आयोग का सदस्य बनाये जाने को लेकर शर्तों में बदलाव
- दो विधेयक सदन में ध्वनि मत से मंजूर
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(आज समाचार सेवा)
पटना। बिहार सरकार ने मंगलवार को संशोधन विधेयकों के जरिए निजी विश्वविद्यालयों के निर्माण के लिए अधिक समय देने का फैसला किया है। दूसरे विधेयक में प्रविधान किया गया है कि तकनीकी सेवा आयोग के सदस्य के 70 साल की उम्र तक पद पर बने रहेंगे। दोनों विधेयक ध्वनिमत से मंजूर हो गए। विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज कर दिए गए। बिहार तकनीकी सेवा आयोग संशोधन विधेयक 2021 ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने पेश किया।
उन्होंने सदन को बताया कि संशोधन के जरिए आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के मनोनयन और उम्र सीमा के बारे में पहले से जारी व्यवस्था में कुछ सुधार किया गया है। पहले अधिकतम उम्र सीमा 62 वर्ष तक निर्धारित थी। संशोधन के बाद आयोग के सदस्य 70 की उम्र तक काम कर सकेंगे। अध्यक्ष के अचानक अवकाश ग्रहण करने की स्थिति में वरीय सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाने का प्रविधान भी इस विधेयक में किया गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि तकनीकी सेवा आयोग में डाक्टरों को भी सदस्य के तौर पर शामिल किया जाता है। अगर उम्र सीमा अधिक रहेगी तो अनुभवी डाक्टरों की सेवा सदस्य के तौर पर ली जा सकेगी। ये सरकारी अस्पतालों के लिए योग्य डाक्टरों का चयन करेंगे।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2021 पेश किया। विधेयक में संशोधन के बाद राज्य में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना की नियमावली में बदलाव किया गया है। मूल विधेयक में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए संचालक को दो साल और दो साल के अवधि विस्तार के जरिए अधिकतम चार साल का समय दिया गया था।
संशोधन के बाद इस समय सीमा को बढ़ा दिया गया है। चार साल के बदले समय सीमा के लिए यथोचित शब्द का प्रयोग किया गया है। यानी निजी विवि को जरूरत के अनुसार अवधि विस्तार मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समय सीमा सिर्फ आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए है। कोर्स शुरू करने के लिए सरकार अलग से आदेश जारी करेगी।
उन्होंने विधायक अख्तरूल इमाम की आशंका को खारिज किया कि नए विश्वविद्यालय मनमर्जी से शुल्क का निर्धारण करेंगे। गरीब छात्र-छात्राओं को इनका लाभ नहीं मिलेगा। कांग्रेस के अजित शर्मा, राजद के ललित यादव एवं समीर कुमार महासेठ ने अपने संशोधन में कहा था कि निजी विवि को निर्माण के लिए अनंतकाल का समय नहीं दिया जा सकता है।