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बिहार में पुष्‍पम प्रिया की राह चले प्रशांत किशोर, निशाने पर CM नीतीश के साथ PM मोदी भी


पटना, : बिहार को सुधारने के लिए चल रही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की पदयात्रा राज्य के लोगों को पुष्पम प्रिया चौधरी (Pushpam Priya Chaudhary) की यात्रा की याद दिला रही है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) से पहले मार्च के महीने में पुष्पम प्रिया (PP) बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में इसी तरह छा गईं थीं। अखबारों में जैकेट वाले विज्ञापन और इंटरनेट मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर धुंआधार प्रचार शुरू हो गया था। युवाओं की टोली उनके पीछे चल पड़ी थी। अब प्रशांत किशोर (PK) ने पदयात्रा शुरू की है। दोनों में समानताएं हैं तो कई अलग-अलग खास बातें भी हैं।

पीके अमेरिका में रहे, पीपी ने ब्रिटेन में की पढ़ाई

दोनों पीके ने भी पश्चिम चंपारण के भीतिहरवा से यात्रा शुरू की है। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) से जुड़े होने के कारण इस जगह की ख्याति है। पुष्पम ने यात्रा की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह जिला नालंदा से की थी। पीके करीब आठ साल तक अमेरिका (USA) में रहने के बाद राजनीति में अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय हुए। पुष्पम लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स (London School of Economics) में पढ़ाई पूरी करने के बाद प्लुरल्स पार्टी (Plurals party) बना कर सीधे चुनावी राजनीति में शामिल हुईं। खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित (CM Candidate) किया। हालांकि, दो विधानसभा सीटों-बाकीपुर और बिस्फी से लड़ीं और बुरी तरह हारीं भी।

पीके पर हमलावर राजनीतिक दल, पीपी पर नहीं

पीके की सुराज यात्रा पर बिहार की राजनीति में व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है। ऐसी प्रतिक्रिया पुष्पम की यात्रा पर नहीं हुई थी। उनको राजनीतिक दलों ने गंभीरता से नहीं लिया। जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि पीके भारतीय जनता पार्टी की राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने कहा कि पीके असल में कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं।

नीतीश के साथ बीजेपी व पीएम मोदी पर भी हमला

उधर, पीके पहले सिर्फ नीतीश सरकार पर हमला कर रहे थे। आलोचना के बाद उन्होंने बीजेपी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर भी हमला तेज कर दिया है। कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी को 26 सांसद देने वाले गुजरात के लिए बुलेट ट्रेन है, पर 39 सांसद देने वाले बिहार के लिए पैसेंजर ट्रेन भी नहीं है। बेरोजगारी के लिए वे केंद्र के साथ राज्य सरकार को भी कोसते हैं।

केवल सीएम नीतीश पर हमलावर थीं पुष्‍पम प्रिया

पीके दिनोदिन केंद्र व राज्‍य की दोनों सरकारों पर हमले तेज कर रहे हैं। पुष्पम राेजगार और गरीबी का सवाल तो उठाती थीं, लेकिन केवल नीतीश सरकार पर  हमलावर थीं। लोगों को प्रभावित करने के लिए पीके अधिक तथ्यों का सहारा ले रहे हैं। वे बता रहे हैं कि आजादी के समय तमिलनाडू से बिहार अधिक समृद्ध् था। वे बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिए 10 साल मांग रहे हैं। पुष्पम ने समय नहीं दिया था। वे केवल यह कह रही थीं कि हम आपके बच्चों का भविष्य संवारने आए हैं।

दोनों के साथ मध्यम वर्ग, पदयात्रा में शामिल युवा

दोनों में एक समानता यह है कि पुष्पम की तरह पीके की यात्रा में भी मध्य वर्ग के युवा शामिल हो रहे हैं। इनकी संख्या अधिक है। इनमें बेरोजगार के साथ चुनाव लड़ने के आकांक्षी युवा हैं। यह वही वर्ग है, जो कभी हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने के वादे के समय बीजेपी की रैली की भीड़ बढ़ाता था तो कभी 10 लाख पक्की सरकारी नौकरी का भरोसा मिलने पर तेजस्वी यादव की सभाओं में भीड़ बढ़ा देता था। यह वह वर्ग है, जिसके पास दो या चार पहिया वाले वाहनों की सुविधा है। हां, पड़ाव स्थल पर स्थानीय ग्रामीण पीके को सुन रहे हैं। वे पुष्पम को भी सुनते थे।