आपादा विभाग का 15 जून से पहले नदियों को चिह्नित कर रिपोर्ट देने का निर्देश
पटना (आससे)। आगामी 15 जून से शुरू हो रही बाढ़ अवधि को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने जिलों को अभी से ही तैयारी करने को कहा है। विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सभी डीएम मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार संभावित बाढ़ से निबटने की तैयारी कर लें ताकि उस समय किसी तरह की परेशानी नहीं हो। कोरोना को देखते हुए बाढ़ पूर्व तैयारी में सरकार की ओर से जारी सभी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।
विभाग ने कहा है कि बिहार में 15 जिले ऐसे है, जो अति बाढ़ प्रभावित हैं। लेकिन हाल के वर्षों में देखा गया है कि बाढ़ आने का मुख्य कारण स्थानीय नदी पुनपुन, फल्गू, कर्मनाशा, सोन का जलस्तर बढऩा होता है। इसलिए इन नदियों पर निगरानी के लिए माइक्रो प्लानिंग अभी से करें और 15 जून से पहले उसकी रिपोर्ट मुख्यालय को उपलब्ध कराएं। विभाग ने सभी डीएम को कहा है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति, दिव्यांगों, बीमार, गर्भवती एवं धातृ माताओं की सूची बनाएं।
बाढ़ से प्रभावित होने वाले गांवों की रेकी करें, ताकि बाढ़ के दौरान उन्हें वहां से आश्रय स्थल या अन्य सुरक्षित जगह पर ले जाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो। तटबंधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने व संवेदनशील स्थलों पर बालू का बोरा, जाल आदि रखने को कहा गया है। प्रखंड व जिला मुख्यालय आने वाली सडक़ों की मरम्मत करने को कहा गया है। आकस्मिक फसल योजना पर अमल करने को कहा गया है।
बाढ़ पूर्व तैयारियों में नोडल पदाधिकारियों का नामांकन, उनका प्रशिक्षण, प्रखंड, अनुमंडल एवं जिला स्तर पर इनकी प्रतिनियुक्ति, क्षेत्रीय पर्यवेक्षकों की प्रतिनियुक्ति और उनका प्रशिक्षण, खोज एवं बचाव कार्यों में प्रशिक्षित स्वयंसेवकों, मोटरबोट चालकों की प्रतिनियुक्ति करने को कहा गया है। साथ ही, जिलास्तर पर टास्क फोर्स भी बनाने को कहा गया है।
वर्षा मापक यंत्रों को चालू रखने, इसकी रीडिंग के लिए प्रत्येक प्रखंड में दो प्रशिक्षित कर्मियों को जिम्मेदारी देने को कहा गया है। तटबंधों की सुरक्षा व मरम्मत का काम जल्द पूरा करने और पेट्रोलिंग पार्टी को भी प्रशिक्षित करने को कहा गया है। अधिकारियों का व्हाट्सअप ग्रुप बनाने और पंचायत स्तर पर लोगों को ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया गया है।
कहा गया है कि आवश्यकता के अनुसार नाव मालिकों से संपर्क कर निजी नाव का भाड़ा तय कर लें। आवश्यक दवाएं, सूखा राशन में चूड़ा व सत्तू, पॉलीथीन के अलावा बाढ़ शरण स्थल के लिए तत्काल जगह चिह्नित करें। इसके लिए सरकारी भवनों को प्राथमिकता दें। सामुदायिक रसोई, मानव दल, मोबाइल मेडिकल टीम, पशु चारा व दवा, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी सुनिश्चित करने को कहा गया है।