पटना

बिहार में बालू के अवैध उत्खनन पर लगी लगाम


      • अधिकारियों पर काररवाई करने वाला बिहार बना पहला राज्य
      • रायल्टी बकाया रखने वालों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस की काररवाई शुरू

(आज समाचार सेवा)

पटना। बालू के अवैध खनन करने वालों एवं माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने वाला बिहार पहला राज्य बना है। राज्य के अंदर जिस तरह की कार्रवाई हुई है व अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बन सकता है। बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाड़ जैसे राज्यों में बालू का अवैध कारोबार हो रहा है, परंतु वहां इतनी बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं हुई है, जबकि बिहार में बड़ अधिकारी से लेकर छोटे अधिकारी भी दो दिन पहले कार्रवाई की जद में आये हैं। वहीं जिन खनन पट्टाधारियों के यहां रायल्टी बकाया है उसकी वसूली के लिए सभी जिलाधिकारियों को सर्टिफिकेट केस दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है। कई जगहों पर केस दर्ज हो भी गया है। लगभग ९० करोड़ का रायल्टी विभिन्न पट्टेधारियों के यहां बकाया है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बिहार पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सजग है। यहां बगैर पर्यावरण स्वीकृति के बालू उत्खनन की अनुमति नहीं दी जा रही है। पहले पुरानी नीति से बालू का कारोबार होता था, बाद में जब नयी बालू नीति बनी तो खलबली मच गयी है। जिन्होंने बालू खनन पर एकाधिकार जमा रखा था तो वे परेशान हो गये। अब बालू खनन के लिए घाटों को नीलाम किया जा रहा है। जिसमें अधिक लोग खनन पट्टा ले रहे हैं। पहले चंद माफिया ही कारोबार पर कब्जा जमाये बैठे थे।

अब नयी नीति के तहत २२०० हेक्टेयर से ज्यादा बंदोवस्ती कोई ज्यादा नहीं ले सकता। मुख्य नदियों के मामले में नये बंदोवस्तधारी को पर्यावरण स्वीकृति के सरकार भी तत्परता से कार्य कर रही है। अधिकारी बताते हैं कि सिया के अधिकारियों के नकारात्मक रवैया के कारण बालू उत्खनन में परेशानी हो रहा है। विभाग ने सभी नये बंदोवस्तधारियों से पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवेदन मांगा। टर्म ऑफ रेफरेंस प्राप्त कर सर्वेक्षण के साथ ससमय आवेदन प्राप्त हुआ है।

अब १६५ बालू घाटों की लोक सुनवाई हो चुकी है। जिसमें कहीं से भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं हुई है। अब बालू माफिया एनजीटी के समक्ष जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट नहीं होने का हवाला देकर प्रक्रिया पर रोक लगवा दी है। जबकि एनजीटी का नियम कहता है कि पर्यावारण स्वीकृति नहीं दी जाती या नहीं दी गयी है उसमें कोई भी आवेदन कर सकता है। प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का अधिकार किसी को नहीं है।

वहीं विभाग ने दावा किया है कि जब्त बालू का १६.५ हजार सीएफ्ïटी बालू का स्टॉक है। पांच जिले यथा पटना, सारण, रोहतास, अरवल आदि जिलों के डीएम को निर्देश दिया गया है कि वे दर निर्धारित कर खुले बाजार में बालू की बिक्री करें। जाहिर सी है सरकार के इस फैसले से बालू कीमतें घटेंगी और सस्ते दर पर लोगों को बालू मिलेगा।