91.9 फीसदी बच्चों के पास वर्तमान कक्षा की किताबें
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। बिहार में सरकारी स्कूलों में नामांकित 38 फीसदी बच्चों को घरों में पढ़ाई में मदद नहीं मिल पाती है। प्राइवेट स्कूलों में नामांकित ऐसे बच्चे कम हैं, जिन्हें घरों में पढ़ाई में मदद नहीं मिल पा रही है। प्राइवेट स्कूलों के ऐसे बच्चों का प्रतिशत 23.9 है। यह खुलासा ‘असर’ (ऐन्यूअल स्टैटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट, 2021) ने किया है। 16वीं ऐन्यूअल स्टैटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट बुधवार को ऑनलाइन जारी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सरकारी स्कूलों में नामांकित 62 प्रतिशत बच्चों को घरों में पढ़ाई में मदद मिल पा रही है। घरों में पढ़ाई में मदद के मामले में सरकारी स्कूलों के बच्चों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की स्थिति बेहतर है। प्राइवेट स्कूलों में नामांकित 76.1 प्रतिशत बच्चों को घरों में पढ़ाई में मदद मिल रही है।
सर्वाधिक सुकून देने वाली बात यह है कि स्कूलों में नामांकित 91.9 फीसदी बच्चों के पास वर्तमान कक्षा की पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध हैं। यह वर्तमान कक्षा की पाठ्यपुस्तक वाले बच्चों की संख्या पिछले साल यानी 2020 की तुलना में सरकारी और प्राइवेट दोनों ही कोटि के स्कूलों में बढ़ी है।
जिन नामांकित बच्चों के स्कूल सर्वेक्षण के पिछले सप्ताह तक नहीं खुले थे, उनमें से 39.8 प्रतिशत बच्चों को उस समय तक अपने शिक्षक द्वारा किसी न किसी प्रकार की शैक्षिक सामग्री या गतिविधियां प्राप्त हुईं। शिक्षक द्वारा उपलब्ध करायी गयी शैक्षिक सामग्री या गतिविधियां पाठ्यपुस्तकों के अलावे हैं। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल 35.6 प्रतिशत बच्चों को अपने शिक्षक द्वारा किसी न किसी प्रकार की शैक्षिक सामग्री या गतिविधियां प्राप्त हुईं थीं।
हालांकि, सर्वेक्षण के पिछले एक सप्ताह में जितने बच्चों के स्कूल खुले, उनमें से 46.4 प्रतिशत बच्चों को शैक्षिक सामग्री उपलब्ध हुई। जिन बच्चों के स्कूल नहीं खुले थे, उनमें से 39.8 फीसदी बच्चों को शैक्षिक सामग्री उपलब्ध हो पायी।
18 माह बंद रहने के बाद स्कूलों के खुलने और दो वर्षों में नामांकन में हुई बढ़ोतरी के मद्देनजर रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों और शिक्षकों को तैयार करने की आवश्यकता जतायी गयी है। रिपोर्ट में इस बात की भी आवश्यकता जतायी गयी है कि शिक्षा की योजनाएं बनाते समय बच्चों की शिक्षा में माता-पिता की भागीदारी को ध्यान में रखना चाहिये, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेखित है। माता-पिता के साथ विचार-विमर्श यह समझने के लिए आवश्यक है कि वे अपने बच्चों की कैसे मदद कर सकते हैं।
रिपोर्ट में ‘हाइब्रिड’ लर्निंग के प्रभावी तरीकों को विकसित करने की आवश्यकता भी महसूस की गयी है, ताकि बच्चों को पढ़ाने के आम और नये तरीकों को साथ में लागू किया जा सके। ‘हाइब्रिड’ लर्निंग के प्रभावी तरीकों को विकसित करने की आवश्यकता भी महसूस की गयी है कि बच्चे घर पर तरह-तरह की गतिविधियां कर रहे हैं। इनमें कई गतिविधियां स्कूलों के साथ-साथ परिवार के सदस्यों एवं प्राइवेट ट्यूटरों द्वारा करायी जा रही हैं।