नयी दिल्ली (आससे)। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि गंगा के मैदानी क्षेत्र के शहरों में वायु प्रदूषण लॉकडाउन और मॉनसून के चलते कम करने में जो फायदा मिला था, वो अर्थव्यवस्था के खुलने और कड़ाके की सर्दी के कारण बेकार चला गया है। गंगा के मैदानी क्षेत्रों में सर्दी में प्रदूषण का स्तर अन्य इलाकों के मुकाबले ज्यादा है, गंगा के मैदानी इलाकों में चिंताजनक रूप से प्रदूषण का स्तर अधिक रहा और लंबी दूरी होने के बावजूद प्रदूषण में समानता दिखी। यह खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने एक विश्लेषण में किया गया है। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी का कहना है कि ये विश्लेषण साल 2020 में हुई अप्रत्याशित घटना के प्रभाव को सामने लाता है। लॉकडाउन में नाटकीय रूप से वायु प्रदूषण कम होने के बाद अब प्रदूषण दोबारा वापस आ गया है, जो स्थानीय व क्षेत्रीय प्रदूषण को दर्शाता है और साथ ही साथ इसका अलग पैटर्न भी दिख रहा है। प्रदूषण का ताजा हाल वाहनों, कल-कारखानों, पावर प्लांट्स व कूड़ा जलाने से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए त्वरित क्षेत्रीय सुधारों और कार्रवाई की मांग करता है ताकि क्षेत्रीय स्तर पर प्रदूषण कम किया जा सके। पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) के स्तर में इजाफा सर्दी का सामान्य व प्रत्याशित ट्रेंड होता है, क्योंकि स्थानीय स्त्रोतों जैसे वाहन, उद्योग, कंस्ट्रक्शन और जैव ईंधन से फैलने वाला प्रासंगिक प्रदूषक तत्व सर्दी में मौसमी बदलाव आने के कारण वायुमंडल में जमा हो जाता है।