पटना

बेगूसराय: दुकानदारी से फुर्सत मिलने के बाद मास्टर साहब जाते हैं विद्यालय


बेगूसराय (आससे)। दुकानदारी से फुर्सत मिलने के बाद मास्टर साहब जाते हैं विद्यालय। वेतन चाहिए समय पर लेकिन विद्यालय में समय पर पहुंचना उनकी जवाबदेही नहीं पहले दुकानदारी से हो कमाई इसके बाद बच्चों की पढ़ाई होगी। जब इस संदर्भ में कुछ ग्रामीणों ने मास्टर साहब से सवाल किया तो वह कपड़े और उलटे जवाब देने लगे कि क्या तुम मेरे अधिकारी हो तुम पूछने वाले कौन हो।

अब सवाल यह उठता है कि जब अधिकारी निरीक्षण को आएंगे तभी उनकी जवाबदेही तय होगी। उक्त वाकया बलिया प्रखंड के उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय ऊपर टोला की है। जहां महबूब नाम के शिक्षक प्रिंटिंग प्रेस की दुकानदारी करते हैं और जब मन हुआ तब विद्यालय जाते हैं। जनाब ग्रामीण तो अधिकारी नहीं होते हैं लेकिन आम जनता को यह पूछने का अधिकार जरूर है कि आप विद्यालय क्यों नहीं आते हैं। क्या समय पर आने-जाने का देखरेख करने का अधिकार अधिकारी को ही होते हैं, क्या आम जनता इसे नजरअंदाज करती रहेगी। क्या आपसे यह नहीं पूछ सकते हैं कि आप समय पर विद्यालय क्यों नहीं आते।

ली गई तस्वीर में स्पष्ट दिख सकता है कि कि उक्त मास्टर साहब का व्यवहार बेहतर नहीं था जिस तरह से धक्का-मुक्की कर बाहर करते देखे गए हैं। वह कदम किसी शिक्षक का नहीं हो सकता है। इस तरह के व्यवहार से शिक्षक जाति तो जरूर कलंकित होगी। अगर आप समय पर विद्यालय जाते आते रहते तो कोई आपसे यह नहीं पूछता कि आप विद्यालय क्यों नहीं जाते हैं।

इस संदर्भ में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण से पूछा तो उन्होंने बताया किया संज्ञान में आया है कि उक्त शिक्षक ने अभद्र व्यवहार किया है जिसकी जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी अगर कोई शिक्षक समय पर विद्यालय नहीं जाते हैं तो वह दोषी है जिसे मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा। इसलिए शिक्षकों को अपनी जवाबदेही समझनी चाहिए।