पटना

बेगूसराय: नियमित शिक्षक वेतन पुनर्निर्धारण में भ्रष्टाचार उजागर, विभागीय सहयोग से करोड़ों की वित्तीय अनियमितताएं


बेगूसराय (आससे)। नियोजित शिक्षक समान काम के बदले समान वेतन की लड़ाई लड़ते रहे तो वही नियमित शिक्षक वेतन घोटाला में मशगूल रहे, और वेतन निर्धारण में करोड़ों रुपए के घोटाले हो गए। पदाधिकारी और लिपिक ने नियमित शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ देते रहे। बताते चलें कि वित्त विभाग के संकल्प 8921, 7 दिसंबर 2018 निर्गत होने के उपरांत जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना शाखा बेगूसराय ने मैट्रिक प्रशिक्षित वरीय वेतनमान प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षकों का नियम को ताक पर रखते हुए वेतन पुनर्निर्धारण कर दिया।

शिक्षा विभाग बिहार सरकार या शिक्षा विभाग बेगूसराय द्वारा सेवानिवृत्त शिक्षकों के वेतन पुन निर्धारण,पेंशन निर्धारण हेतु वित्तीय वर्ष 2018-19,  एवं 2019-20 में कोई भी आदेश पत्र संबंधित निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी के लिए जारी नहीं किया गया। बेगूसराय के कार्यालय ज्ञापन 2393, 20 सितंबर 2019 द्वारा कार्यरत शिक्षकों के मैट्रिक प्रशिक्षित वरीय वेतनमान की तिथि में संशोधन किया गया है। जिसमें वित्त विभाग के संकल्प 8921, 7 दिसंबर 2018 के अनुरूप वेतन निर्धारण का निर्देश जारी किया गया था। बताते चलें कि मैट्रिक प्रशिक्षित वरीय वेतनमान प्राप्त शिक्षकों को किसी पद का प्रवेश वेतनमान स्वीकृत नहीं होना था। लेकिन बेगूसराय में लगभग एक हजार शिक्षकों को 6 से ₹8000 मूल वेतन में वृद्धि कर दी गयी।बताते चलें कि वेतन निर्धारण वैसे शिक्षकों का होना था ।जो 1 जनवरी 2006 के पूर्व के शिक्षक हैं अर्थात जिनका 12 वर्ष का सेवाकाल पूरा हो गया था।

लेकिन 31 अगस्त 2006 को जिनका 12 वर्ष पूरा हुआ वह भी 1 जनवरी 2006 के आधार को मनवा कर वेतन वृद्धि का लाभ ले लिए। जबकि दोनों लेवल के शिक्षक का वेतन 4600 मूल वेतन है। 1 जनवरी 2006 के पूर्व वाले शिक्षक को वेतन वृद्धि होकर 17हजार140 रुपए लेना था। वही 1 अगस्त 1994 में बहाल शिक्षकों का वेतन वृद्धि होकर ₹16640 ही मिलना था। लेकिन एक हजार के लगभग शिक्षकों ने ₹16640 की जगह 17140 रुपए ले लिए। सबसे दिलचस्प है कि शिक्षकों ने बकाया एरियर 2 लाख से ₹5 लाख तक निकासी भी कर लिए ।यह मामला तब उठा जब डीडीओ चेरिया बरियारपुर संजय कुमार ने वेतन निर्धारण पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।

जिसके बाद तत्कालीन डीपीओ रवि कुमार ने संजय कुमार को डीडीओ पद से मुक्त कर दिया जिसके बाद डीडीओ ने शिक्षा विभाग निदेशक को वित्तीय अनियमितता से अवगत कराया वहीं यह मामला कोई एक जिला का नहीं है बल्कि कई जिला में इस तरह की गड़बड़ी हुई है जबकि शिक्षा विभाग के पदाधिकारी को जानकारी थी इसके बावजूद वेतन वृद्धि दे दिए और करोड़ रुपए का वेतन घोटाला हो गया। बताते चलें कि 700 के लगभग शिक्षक अवकाश ग्रहण कर चुके हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि उन सभी शिक्षकों पर शिक्षा विभाग की क्या कार्रवाई होगी।

बताते चलें कि शिक्षा विभाग के निदेशक संजय कुमार ने सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक को इसी मामले को लेकर पत्र लिखा है इसी के आलोक में मुंगेर प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने मुंगेर प्रमंडल अधीन सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, सभी DPO स्थापना को निर्देश दिया  है कि महा लेखाकार के पत्र का अक्षरश पालन करेंनियमित शिक्षक वेतन पुन निर्धारण में भ्रष्टाचार उजागर विभागीय सहयोग से करोड़ों की वित्तीय अनियमितताएं। शीर्षक को आज हिंदी दैनिक के पोर्टल पर एवं आज हिंदी दैनिक अखबार में 29 नवंबर 2020 को प्रमुखता के साथ खबर चलाई गई थी। इसी के आलोक में क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक मुंगेर ने मुंगेर प्रमंडल के अंतर्गत सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं स्थापना डीपीओ को पत्र जारी कर अधिक राशि लेने वाले शिक्षकों को चिन्हित कर पुनः रुपया की वापसी की कार्रवाई की जाए।