डा. सुधीर सिंह। हाल में संपन्न भारत-रूस शिखर बैठक ने दोनों देशों की दोस्ती का नायाब उदाहरण पेश किया। इसमें भाग लेने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खासतौर से दिल्ली आए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में उनकी अगुआई की। दिनभर चली बैठकों में प्रधानमंत्री मोदी ने जहां भारत-रूस दोस्ती को अनूठी और एक-दूसरे की संवेदनाओं का ध्यान रखने वाली बताया, वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने भारत को बड़ी शक्ति और विश्वसनीय दोस्त करार दिया।
शीत युद्ध के बाद वैश्विक राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन आया है। पुराने दोस्त सामान्य दोस्त रह गए हैं और पुराने प्रतिद्वंद्वी भी कई मामलों में अच्छे मित्र बन गए हैं। शीत युद्ध की समाप्ति तक रूस भारत का सबसे विश्वसनीय सहयोगी रहा। शीत युद्धोत्तर काल में इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कोरोना कालखंड के पिछले दो वर्षो में राष्ट्रपति पुतिन की यह दूसरी विदेश यात्रा थी। जून 2021 में वह अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के साथ शिखर बैठक करने के लिए स्विट्जरलैंड गए थे। उनका भारत आना इसलिए भी अहम है, क्योंकि उन्होंने चीन का भी अपना दौरा कोरोना महामारी के कारण रद कर दिया था। साफ है कि भारत आकर उन्होंने चीन को भी संदेश दिया।