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मंदी के दौर में फिसलते अमेरिका, चीन और यूरोप, भारत की विकास दर होगी सबसे तेज


नई दिल्ली, । कोरोना महामारी के संक्रमण से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को एक बड़ा झटका लगा। कोविड-19 से बचने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन लगाए गए, जिससे कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं धराशायी हो गईं। जैसे-तैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था पटरी पर आ ही रही थी कि तभी कोविड-19 की दूसरी लहर और इस साल रूस और यूक्रेन युद्ध से ग्लोबल इकोनॉमी को तगड़ी मार लगी। आईएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की इकोनॉमी में विकास दर ठप हो गई, लेकिन इन सब कारणों के बावजूद भी भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में रही है।

महंगाई ने तोड़ी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की कमर

WEO (World Economic Outlook) अपडेट 2022 और 2023 के मुताबिक वैश्विक विकास दर बहुत धीमी है। हालांकि, भारत की स्थिति अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर स्थिति में नजर आती है। 2021 में एक अस्थायी सुधार के बाद 2022 में तेजी से निराशाजनक विकास हुआ है। चीन और रूस में मंदी के कारण इस वर्ष की दूसरी तिमाही में वैश्विक उत्पादन में कमी आई, जबकि अमेरिका में उपभोक्ता खर्च उम्मीद से कम रहा। दुनिया भर में अपेक्षा से अधिक महंगाई ने सभी देशों को प्रभावित किया है। विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को महंगाई की तगड़ी मार लगी है। चीन में COVID-19 के प्रकोप और लॉकडाउन के कारण मंदी को दर्शाती है। इस पर आईएमएफ की पहली उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने ट्वीट कर कहा कि तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं यूएस, यूरो एरिया और चीन का विकास दर रुका हुआ है। इस पर चीफ इकोनॉमिस्ट पियरे-ओलिवियर गौरिनचास (Pierre-Olivier Gourinchas) ने एक ब्लॉग भी लिखा है, जिसमें उन्होंने बहुत ही बारीकी से ग्लोबल जीडीपी की धीमी ग्रोथ के बारे में विस्तार में समझाया है।

अमेरिका, यूरोप और चीन की हालत खराब

2022 में विकास दर का पूर्वानुमान पिछले वर्ष के 6.1 प्रतिशत से 3.2 प्रतिशत तक धीमा रहने का है, जो अप्रैल 2022 के विश्व आर्थिक आउटलुक की तुलना में 0.4 प्रतिशत कम है। इस साल की शुरुआत में कम वृद्धि, घरेलू क्रय शक्ति में कमी और सख्त मौद्रिक नीति से संयुक्त राज्य अमेरिका में 1.4 प्रतिशत अंक की गिरावट आई। चीन में लगे लॉकडाउन और गहराते रियल एस्टेट संकट ने विकास को 1.1 प्रतिशत अंक तक संशोधित किया है। वहीं, यूरोप में इसका नीचे जाना यूक्रेन में युद्ध और सख्त मौद्रिक नीति को दर्शाता है। खाद्य और ऊर्जा की कीमतों के साथ-साथ आपूर्ति-मांग असंतुलन के कारण वैश्विक महंगाई काफी बढ़ी है। इस साल उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 6.6 फीसद और उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 9.5 फीसद तक पहुंचने का अनुमान है। 2023 में वैश्विक उत्पादन में केवल 2.9 फीसद की ही वृद्धि होने का अनुमान है। 2021 में यह 6.1 फीसद थी।

तेजी से ऊपर की ओर बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था

आईएमएफ के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक लेटेस्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक ग्रोथ प्रोजेक्शन में भारत 2021 में भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर सामने आया है। 2021 में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की जीडीपी सबसे ऊपर 8.7 रही, जिससे पता चलता है कि भारत की स्थिति अन्य विकसित देशों की तुलना में बेहतर है। वहीं, वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के प्रोजेक्शन के मुताबिक भारती की जीडीपी वित्त वर्ष 2022 में 7.4 और 2023 में 6.1 रहने की उम्मीद है, जो अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका, यूरो एरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, जापान व यूनाइटेड किंगडम की तुलना में कहीं बेहतर है।