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मणिपुर हिंसा मामले: एक्शन में अमित शाह शांति समिति का गठन; CM के अलावा विपक्षी नेता भी शामिल –


नई दिल्ली, । मणिपुर हिंसा मामले को लेकर गृह मंत्री अमित शाह एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होंने  मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति का गठन किया है। इस समिति में मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे।

शांति समिति में ये लोग होंगे शामिल

गृह मंत्रालय के मुताबिक, शांति समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। मंत्रालय के मुताबिक, समिति में पूर्व सिविल सेवक, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

मणिपुर में थम नहीं रही हिंसा

बता दें, मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है। ताजा मामला खोखेन गांव का है, जहां शुक्रवार को जवानों की वर्दी में आए मैती समुदाय के उग्रवादियों ने पहले कॉबिंग के बहाने ग्रामीणों को घरों के बाहर बुलाया और फिर उन पर फायरिंग करनी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में एक महिला समेत तीन की मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हो गए।

खोखेन गांव, पश्चिमी इंफाल जिले और कांगपोकपी के बीच में स्थित है, जहां शुक्रवार को हिंसा हुई। जिन लोगों की मौत हुई है, वे अलग-अलग समुदाय के हैं। घटना के बाद सेना, पुलिस और असम राइफल्स के जवान मैती उग्रवादियों की तलाश में जुटी हुई हैं।

सीबीआइ ने दर्ज की छह एफआइआर

मणिपुर हिंसा की जांच सीबीआइ कर रही है। सीबीआइ ने अभी तक छह एफआइआर दर्ज की है, जिसमें पांच आपराधिक साजिश की है। सीबीआइ इस बात का पता लगाएगी कि तीन मई से जारी कुकी और मैती समुदाय के बीच हिंसा किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा के समय इंटरनेट पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका को तत्काल सुनने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट पहले ही मामला सुन रहा है। इसलिए दोहरी सुनवाई की जरूरत नहीं है।

 

हिमंत बिस्वा सरमा आज आएंगे मणिपुर

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा आज मणिपुर आएंगे। वह राज्य में जारी हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और कुछ अन्य लोगों से मुलाकात करेंगे।

न्यायिक आयोग का गठन

बता दें, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने मणिपुर दौरे के दौरान रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग के गठन की घोषणा की थी। गृह मंत्रालय ने बाद में इस पर मुहर लगा दी। मंत्रालय के मुताबिक, न्यायिक आयोग हिंसा के कारणों और प्रसार के साथ ही दंगों की जांच करेगा।