Post Views: 1,154 भारतका चुनावी परिदृश्य विगत छह दशकोंसे गठबंधनके प्रयोगोंसे भरा पड़ा है। ये प्रयोग अंतत: पर्सनालिटीके विरुद्ध हमेशासे अपने-अपने दावोंको मजबूत करनेपर आधारित रहे हैं। कभी नेहरू, कभी इंदिरा, कभी सोनिया गांधीके खिलाफ इन्हें बनाया गया है। किन्तु इनकी ऐतिहासिक असफलताएं बताती हैं कि कार्यक्रमके मुकाबले व्यक्तित्वसे टकरावकी राजनीतिकी सफलता संदेहास्पद रहती है। […]
Post Views: 682 कहा जाता है कि देशकी लोकतांत्रिक व्यवस्थामें कानूनका शासन है एवं कानून अपना कार्य स्वयं करता है। परन्तु महिलाओंके प्रति आपराधिक मामलोंमें कानून द्वारा काररवाईकी प्रतीक्षा नहीं की जाती। इसलिए गैरसत्ताधारी राजनीतिक दलोंके नेताओंके लिए कभी-कभी यह घटनाएं आपदामें अवसरके रूपमें विशेष आकर्षणका केन्द्र बन जाती हैं। देखा गया है कि इन […]
Post Views: 722 डा. जयंतीलाल भंडारी जब वर्ष २०२० की शुरुआत हुई, तब जनवरी माहमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, वल्र्ड बैंक तथा दुनियाके अनेक वैश्विक संघटन यह कहते हुए दिखाई दे रहे थे कि वर्ष २०१९ की आर्थिक निराशाओंको बदलते हुए वर्ष २०२० में भारतीय अर्थव्यवस्थाका प्रदर्शन सुधरेगा और विकास दर तेजीसे बढ़ेगी, लेकिन कोरोनाके कारण […]